वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कहा : बुराई को छोड़ना ही होली पर्व का मुख्य उद्देश्य।
कुरुक्षेत्र, 26 मार्च :
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र पर होली महोत्सव स्नेह मिलन समारोह के रूप में अलौकिक होली फूलों के साथ खेल कर मनाई गई। इस दौरान सभी ने एक दूसरे पर फूलों की वर्षा की और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभु प्रेम के गीत के साथ हुआ। इस दौरान केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सरोज दीदी ने सभी बहन भाईयों को होली की शुभकामनाएं देते हुए होली का आध्यात्मिक रहस्य बताया। उन्होंने कहा कि होली पर सभी छोटे बड़े को भूल कर आपस में एक दूसरे को समान समझ मस्ती में खेलते हैं, दुश्मनी के संस्कार भूल जाते हैं और गले मिलते हैं। उन्होंने होली शब्द के तीन अर्थ बताते हुए स्पष्ट किया कि होली अर्थात पवित्र बनना, होली अर्थात बीती बातें हो ली और होली अर्थात मैं आत्मा परमात्मा की हो ली। सरोज दीदी ने कहा कि
पुरानी बातें भूल कर आज हम प्यार और सम्मान का रंग एक दूसरे को लगाएं। होली केवल आज ही नहीं, बल्कि हर रोज मनाएं। उन्होंने कहा कि यदि हम काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार पर हम विजय प्राप्त करेंगे, तो जीवन हॉलिएस्ट, हाईएस्ट और रिचेस्ट बन जाएगा। इस पावन पर्व पर उन्होंने संदेश दिया कि अपनी अशुद्धि, कमजोरी और बुराई को भस्म करो, तभी अतिंद्रिय सुख का अनुभव होगा। बीके आरती और पूनम ने प्रभु स्मृति में गीत गाकर सीख दी कि दिल से प्रभु को याद करेंगे और उससे अपना रिश्ता निभाएंगे, तो सारे झमेले मिट जाएंगे और पल में सब समस्याएं समाप्त हो जाएगी। कार्यक्रम को रंगीन बनाने के लिए क्वीज प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें ब्रह्माकुमारी संस्था की यज्ञ हिस्ट्री, होली का आध्यात्मिक रहस्य आदि विषयों से संबंधित प्रश्न पूछ कर सभी को उमंग उत्साहित किया। होली पर्व मनाने आए सभी बहन भाईयों को बीके बहनों द्वारा तिलक लगा कर, पुष्प वर्षा कर और ईश्वरीय प्रसाद देकर आत्मिक स्वरूप की याद दिलाई। कार्यक्रम के समापन पर सभी बहन भाईयों ने होली के मधुर गीतों पर नृत्य करके अपनी प्रसन्नता प्रकट की।