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पाक माह रमजान में होती है रहमतों की बारिश,,,,,,,
थोड़ी सावधानी बरतकर रोजा आसानी से रक्खा जा सकता है,,,,,, डा आसिफ़ रशिद
अररिया
रमजान माह मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्र माह माना जाता है। इसमें रोज़े रखने का विशेष महत्व होता है। बुधवार को अररिया सहित सीमावर्ती क्षेत्र में 16 रोज़ा रख सेहरी 4 बज कर तीस मिनट पर खाकर रोजा शुरू हुआ और अल्लाह की इबादत कर लोगों ने संध्या 5 बज कर 52 मिनट पर इफ्तारी कर त्रावीह की नमाज अदा की। उक्त बातें भरगामा अररिया स्थित दारुल उलूम फैजे रहमानी के संस्थापक अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती मो आरिफ सिद्दीकी साहब ने कही। उन्होंने बताया कि दुनिया के सभी मजहब अपनी-अपनी मजहबी तरीके से रोजे (उपवास) रखते हैं। जिनके अलग-अलग तरीके और नाम है। जैन धर्म में पर्युषण पर्व का उपवास आत्म शुद्धि एवं कषाय मुक्ति का पर्व है। सनातन धर्म में नवरात्री का उपवास मातृभक्ति एवं प्राकृतिक शक्ति का उपासना का प्रतीक है। इसी तरह मुस्लिम समुदाय में रोजा रखना अल्लाह के इबादत का एक जरिया है।
रोजा सिर्फ भूखे प्यासें रहने का नाम नहीं हैं अपितु शरीर के साथ मानव की सभी बुराईयों को भी नष्ट करती है , रोजा भूखे प्यासें , असहाय लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए सिखाती है ।जब कोई व्यक्ति रोज़ा रहते हुए दान धर्म करता है, उसे सत्तर गुना ज्यादा बरकत एवं पुण्य की प्राप्ति होती है ,इसलिए रमजान माह में रोज़े रहने का विषेश महत्त्व है।
इस बाबत शहर के नामचीन फिजिशियन व शिशु रोग चिकित्सक डा मो आसिफ़ रशिद ने बताया कि मौसम के बदलाव के बीच मार्च में रमजान मुबारक के महीने के शुरू होने पर रोजा रखना व इफ्तार और सहरी करने के बीच अपने सेहत का भी रोजेदारों को ख्याल रखना अति आवश्यक है । इस संदर्भ में पूछे जाने पर शहर के नामचीन फिजिशियन प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ आसिफ रशिद ने बताया कि मार्च के महीने में रमजान का पवित्र महीना शुरू हुआ है। मार्च के महीने में गर्मी अधिक पड़ती है। हालांकि इस बार मौसम सुहानी रही,बारिश होने के कारण,फिर भी धूप में तपिश रहने के कारण इस महीने में लोगों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसलिए जो रोजगार है, उन्हें चाहिए कि वह सहरी के समय जितना अधिक से अधिक पानी पी सकते हैं पिएं। धूप में काम पर अगर निकल रहे हैं तो कोशिश करें की ठंड वाली जगह पर रहे, डॉक्टर आसिफ ने कहा कि इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि शरीर में पानी की कमी नहीं हो । कहा कि इस समय शरीर में पानी का कमी होने से पेशाब का इन्फेक्शन व अन्य कष्ट होने की संभावना रहती है। इसलिए पानी अधिक से अधिक पिए, लेकिन इस बात का भी ध्यान रहे की इफ्तार के समय अधिक तली हुई व तेल मसाला वाली चीज नहीं खाएं, क्योंकि इससे भी डिहाइड्रेशन होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीज को अधिक लंबे समय तक खाली पेट रहने की सलाह नहीं दी जा सकती है। लंबे समय तक खाली पेट नहीं रहना चाहिए, लेकिन डायबिटीज के मरीज जो सहरी के समय डायबिटीज के दवा लेते हैं तो उन्हें कम से कम पूरे रमजान में प्रत्येक सप्ताह में दो बार निश्चित रूप से दो बार ब्लड शुगर जांच करना चाहिए । यदि ब्लड शुगर जांच नहीं कर सकते हैं तो यूरिन शुगर जरूर जांच करा लेना चाहिए। पेशाब का शुगर जांच कर लेने से यह पता चलता है कि ब्लड शुगर की स्थिति क्या है। ब्लड शुगर के मरीज को रमजान के महीने में अपने सेहत का भी विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए। जिस किसी चिकित्सक से जिसका भी इलाज चल रहा हो, उसे उनके संपर्क में उन्हें रहना चाहिए तथा चिकित्सक के दिए गय परामर्श को भी मानना चाहिए। ब्लड प्रेशर वाले मरीज बीपी की जांच भी कराते रहें और दवाई सेहरी से पहले ले लेना चाहिए। अफ्तार के समय जितना हो सके तरल पदार्थ खाना जरूरी है,खासकर नारियल पानी अधिक पिए। सेहरी के समय मिठाई के रूप में कच्चा रसगुल्ला ले सकते हैं। इस तरह थोड़ी सी सावधानी बरतकर रोजा आसानी से रक्खा जा सकता है।