दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : जिले बरेली में यूँ तो बहुत से ऐसे धाम हैं जहाँ पर लोगो को धर्म के नाम पर और आस्था के नाम पर भक्तो को भक्ति का चोला पहन कर जेब खाली करवा ली जाती हैं
बरेली के आंवला के गांव विजयनगला मे ही एक ऐसा धाम भी है जहाँ लोगो को उनकी जेब से नहीं उनकी परेशानी से जोड़ा जाता है।
जहाँ पर ना हिन्दू अलग है न मुस्लिम, न ईसाई अलग है न सिख यहां पे सबको उनकी विपदा के साथ जोड़ के देखा जाता है, यहां न छोटा न बड़ा, न अमीर न गरीब यहां बस बाबा के प्रति भक्तों की आस्था विश्वास होना ही काफ़ी है.। यहां पर 221 साल पुराना बरगद का पेड़ है, जिसकी छाया मे बाबा की समाधि है । जहाँ पर दुखी का माथा टेकना ही दुखी का दुख दूर कर देता है । तथा यहां पर लोग दूर- दूर से बाबा की शरण मे अपनी परेशानी और दुख लेकर रोते हुए आते हैं । और हँसते हुए जाते हुए देखा है । तभी तो भक्त यहां पर सोनीपत,पानीपत,हरियाणा, दिल्ली, गाजियाबाद और विभिन्न स्थानों से अपनी मन्नत लेकर आते हैं और अपनी खाली झोली भरकर जाते हैं। यहां पर सबसे विशेष बात यह है, कि यहां पर सर्वधर्म को सम्मान दिया जाता है। यहां बाबा गोरखनाथ, बाबा भोलेनाथ, संत रविदास और माँ कालिका की भी प्रतिमा है जिनके समक्ष मस्तक टेकने मात्र से दुख मिट जाते हैं, नहीं गए हो विजयनगला धाम तो बाबा के दर्शन को जरूर जाएं। जहाँ जाने मात्र से मन को एक अलग शांति मिलती है।