सात दिवसीय संगीतमई श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ
सात दिवसीय संगीतमई श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ
आलापुर (अम्बेडकर नगर) | तहसील क्षेत्र आलापुर के अन्तर्गत भरतपुर (तिवारीपुर) में बुधवार को सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ।कथा वाचक पंडित श्री शचींद्रधर द्विवेदी ने बताया कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा का श्रवण कर अभय को प्राप्त किया, वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है।
पंडित श्री शचीन्द्र धर द्विवेदी ने क्षेत्र के भरतपुर (तिवारी पुर) में आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है। उन्होंने कथा के पहले दिन सुखदेव आगमन की कथा सुनाई महाराज ने परीक्षित जन्म सुखदेव आगमन की कथा सविस्तार सुनाई।उन्होंने बताया कि पांडवों के पुत्र अर्जुन, अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु, अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा, जो राजा विराट की पुत्री थी। वह अभिमन्यु को ब्याही गई थी। युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोधित होकर पांच पांडवों को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, लेकिन वे पांडव ना होकर द्रोपदी के पांच पुत्र थे। जानबूझकर चलाए गए इस अस्त्र से उन्होंने उत्तरा को अपना निशाना बनाया। अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा उस समय गर्भवती थी। बाण लगने से उत्तरा का गर्भपात हुआ और गर्भपात होने से परीक्षित का जन्म हुआ। कथा शुरू होने के पूर्व कथा आयोजक श्याम सुंदर द्विवेदी अपने परिजनों के साथ विकास एवं व्यास पीठ का पूजन कर आरती उतारी तिलक चंदन द्वारा स्वागत किया।श्रोतागण श्री उजागिर तिवारी,रमेश तिवारी, ठाकुर सिंह, के के दुबे, आचार्य देवेंद्र त्रिपाठी, घनश्याम तिवारी , जीत बहादुर सिंह,रामहंस यादव,ओंकारनाथ सिंह,नन्हें तिवारी और आयोजक परिवार सहित समस्त ग्रामवासी मौजूद रहे।