Uncategorized

केयू शिक्षक डॉ आनंद जायसवाल फोटोग्राफी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने दी बधाई।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 7 अगस्त : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग के शिक्षक डॉ. आनंद जायसवाल को ललित कला अकादमी, नई दिल्ली और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त को आयोजित 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार से भारत सरकार के सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा सम्मानित किया गया। उनके साथ संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव विवेक अग्रवाल, अपर सचिव अमिता प्रसाद सारभाई, ललित कला एकेडमी के वाइस चेयरमैन डॉ. नंद लाल ठाकुर मौजूद थे।
इस उपलब्धि के लिए गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने डॉ. आनंद जायसवाल को बधाई देते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि डॉ. आनंद हरियाणा के वो कलाकार हैं जिन्हें इस वर्ष यह प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल, ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरचरण सिंह व विभाग के शिक्षकों ने भी डॉ. आनंद को शुभकामनाएं दी। डॉ. आनंद जायसवाल ने बताया कि 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में फोटोग्राफी के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है।
राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में 5922 आवेदक थे जिनमें से 283 कलाकारों का प्रदर्शनी के लिए चयन किया गया और 20 कलाकारों को राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। हरियाणा से केवल उन्हें इस वर्ष 2025 के लिए उनकी रचना वृत्त की पहेली सुलझाना के लिए पुरस्कृत किया गया है।
इस अवसर पर पर डीन प्रो. कृष्णा देवी, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, डॉ. पवन कुमार, डॉ. मोनिका, डॉ. जया दरोंदे मौजूद रहे।
डॉ.आनंद जायसवाल की रचना वृत्त की पहेली सुलझाना।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डॉ. आनंद जायसवाल ने बताया कि उनके द्वारा रचित सॉलविंग द पज़ल ऑफ़ सर्किल्स एक दृश्यात्मक रूप से प्रभावशाली, किन्तु गहन रूप से व्यंग्यात्मक रचना है जो औद्योगिक रूपों की व्यवस्थित सुंदरता और मानवीय कष्टों की कठोर वास्तविकता के बीच का अंतर दर्शाती है। नीले, हरे और काले रंग के करीने से रखे ड्रम, बार-बार दोहराए जाने वाले वृत्तों का एक मनमोहक जाल बनाते हैं, जो सटीकता, एकरूपता और नियंत्रण का संकेत देते हैं। लेकिन इस व्यवस्थित पृष्ठभूमि के सामने एक नंगे पाँव मज़दूर खड़ा है, जो एक बैरल पर झुका हुआ है, जो शहरी गरीबों के मौन संघर्ष का प्रतीक है। यह चित्र विस्थापन, गरीबी और आधुनिक प्रगति की मशीनरी में शारीरिक श्रम की अदृश्यता की बात करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel