Uncategorized

उत्तराखंड देहरादूनदेवभूमि से मदरसों की विदाई तय, धामी सरकार का ऐतिहासिक फैसला

सागर मलिक

देहरादून। उत्तराखंड में अवैध मदरसों की विदाई और पंजीकृत मदरसों की व्यवस्था पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ संकेत दे दिए हैं कि राज्य में मदरसा बोर्ड की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी और इसके स्थान पर अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। यह निर्णय आगामी शैक्षिक सत्र 2026 से लागू होने की संभावना है।

साल 2023 के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 416 पंजीकृत मदरसों में 45,808 बच्चे पढ़ रहे थे। इनमें 23,174 बच्चे कक्षा 1 से 5 तक, 17,066 कक्षा 6 से 8 तक तथा करीब 2,496 बच्चे कक्षा 9 से 10 में अध्ययनरत थे। वहीं, 576 से अधिक अवैध मदरसों में भी लगभग 60 हजार बच्चे धार्मिक शिक्षा ले रहे थे। सरकार के सर्वे में पाया गया कि अधिकांश अवैध मदरसे बिना पंजीकरण चल रहे हैं और संचालक चंदे का हिसाब नहीं देते, जबकि बच्चों की पढ़ाई और सुविधाएं बेहद दयनीय स्थिति में हैं।

राज्य बाल सुधार आयोग की रिपोर्ट में भी मदरसों की पढ़ाई के स्तर को बेहद खराब और चिंताजनक बताया गया था। जांच में यह भी सामने आया कि अवैध मदरसों में झारखंड, बंगाल, असम, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के बच्चे फर्जी आधारकार्ड के जरिए पढ़ाई कर रहे थे। इस पर कार्रवाई करते हुए अब तक 237 अवैध मदरसों को बंद किया जा चुका है।

पंजीकृत मदरसों में भी स्थिति संतोषजनक नहीं मिली। सरकार का कहना है कि वहां राष्ट्रीय पाठ्यक्रम केवल औपचारिक रूप से दिखाया जाता है जबकि पढ़ाई का जोर धार्मिक शिक्षा पर ही रहता है। यही कारण है कि सरकार अब मदरसा बोर्ड को खत्म करने की तैयारी में है।

धामी सरकार का अध्यादेश लागू होने पर सभी अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान—चाहे सिख, पारसी, ईसाई, जैन, गोरखा या बौद्ध हों—अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण के अंतर्गत आएंगे और उनकी संबद्धता उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड से होगी। साथ ही धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ उन्हें राज्य बोर्ड का पाठ्यक्रम पढ़ाना अनिवार्य होगा।

मदरसा बोर्ड के चेयरमैन शम्स काजमी ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि आधुनिक शिक्षा मिलने से बच्चों का भविष्य सुधरेगा। वहीं, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने इसे “एक देश, एक शिक्षा” की दिशा में उठाया गया साहसिक कदम बताया।

धामी सरकार का यह निर्णय न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रहा है। यदि अध्यादेश लागू होता है तो उत्तराखंड देवभूमि वह पहला राज्य होगा जहां पारंपरिक मदरसा व्यवस्था समाप्त होकर बच्चों को बेहतर और आधुनिक शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel