अपनी जीवन शैली को प्रकृति के अनुकूल बनाना होगा – डॉ दुष्यंत मिश्र

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : सम्भल,एम जी एम डिग्री कॉलेज में भूगोल विभाग द्वारा विश्व ओजोन दिवस पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का प्रारम्भ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके किया जिसमें भूगोल विभाग के प्रभारी दुष्यंत मिश्रा ने बताया कि विश्व ओज़ोन दिवस प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को मनाया जाता है। यह वर्ष 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने का स्मृति दिवस पर मनाया जाता है, जो एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि है।
ओज़ोन परत समताप मंडल में स्थित ओज़ोन अणुओं की एक परत है, ओजोन परत का निर्माण ऑक्सीजन के तीन एटम के मिलने से होता है ।यह परत 15 से 35 किलोमीटर ऊंचाई पर अति सघन है, सूर्य के प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। लेकिन ओज़ोन परत के बिना सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत अधिक होती। सूर्य की संपूर्ण ऊर्जा का बहुत ही सूक्ष्म भाग पृथ्वी पर आ पाता है। यह ओजोन परत एवं वायुमंडल में पाए जाने वाली विभिन्न गैसों के कारण ही संभव है।सूर्य का प्रकाश जीवन को संभव बनाता है, लेकिन ओज़ोन परत भी सूर्य के प्रकाश को मानव उपयोगी बनती है। हमें अपनी जीवन शैली में भी बदलाव लाना पड़ेगा क्योंकि सामान्य रूप से जब हम कहीं चर्चा के दौरान तापमान बढ़ने की बात करते हैं, तो एक सामान्य समाधान अनुकूलित यंत्र लगाने की बात आती है। जबकि होना यह चाहिए कि हम पेड़ पौधों को लगाने के पक्ष में अपने विचार व्यक्त करने चाहिए।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अर्थशास्त्र विभाग के प्रभारी डॉक्टर निलेश कुमार बताया कि
ओजोन परत नहीं तो पृथ्वी पर मानव जीवन एवं जैव जगत संभव नहीं होता।पृथ्वी पर सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें सीधे पहुँचेंगी, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा, इसके फल स्वरुप बर्फ पिघलने की दर में वृद्धि से समुद्र का जल स्तर से ,समुद्री द्वीप जलमग्न हो जाएंगे, वर्षा चक्र अनियमित हो जाएगा, साथ ही मनुष्यों में त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाएंगी। शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रभारी डॉ राघवेंद्र प्रताप ने बताया कि
ओजोन परत को बचाने के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे ओजोन-क्षयकारी पदार्थों का उपयोग बंद करें, वाहनों का कम उपयोग करें, पेड़-पौधे लगाएं, स्थानीय उत्पाद खरीदें और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दें। समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमृतेश अवस्थी ने बताया कि पर्यावरण के अनुकूल मन, वचन और कर्म से जीवन शैली अपनाने की आवश्यकता है इसी से हम अपने संपूर्ण पर्यावरण को एक बेहतर स्थिति में लाया जा सकता हैं। इस अवसर पर अंग्रेजी विभाग के प्रभारी डॉ नवीन कुमार यादव,अंग्रेजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अजय कुमार, , उर्दू विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रियाज अनवर आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य विभाग के प्रभारी डॉक्टर संजय बाबू दुबे ने किया।