पर्यावरण के नुकसान का आदिवासियों, दलितों व गरीबों पर पड़ता है प्रभाव : पंकज चतुर्वेदी

पर्यावरण के नुकसान का आदिवासियों, दलितों व गरीबों पर पड़ता है प्रभाव : पंकज चतुर्वेदी
ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी
पांचवां विपुला स्मृति व्याख्यान आयोजित
मौजूदा परिवेश व सामाजिक न्याय विषय के विविध आयामों पर हुआ विचार मंथन।
कुरुक्षेत्र, 23 सितंबर :
प्रसिद्ध पर्यावरणविद्, चिंतक एवं लेखक पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान का सीधा प्रभाव आदिवासियों, दलितों व गरीब लोगों पर पड़ता है। इससे उनका पलायन होता है। पलायन से उनकी भाषा, रहन सहन, लोक धर्म व लोक संस्कृति भी विलुप्ती की कगार पर पहुंच जाती है। वे ईशरगढ़ गांव स्थित सत्यभूमि में देस हरियाणा व सत्यशोधक फाउंडेशन द्वारा वर्तमान परिवेश एवं सामाजिक न्याय विषय पर आयोजित पांचवें विपुला स्मृति व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित प्रदेश भर से आए साहित्यकारों व प्रबुद्धजनों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता देस हरियाणा के संपादक प्रोफेसर सुभाष चन्द्र ने की। अध्यक्ष मंडल के अन्य सदस्यों में वरिष्ठ साहित्यकार ओम सिंह अशफाक व बृजेश कठिल शामिल रहे।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार जयपाल द्वारा दलित विमर्श पर आधारित यूनिक पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित उनके दूसरे काव्य संग्रह ‘बंद दरवाजे’ का विमोचन किया गया। जयपाल ने इस संग्रह की कविता पवित्र-अपवित्र का पाठ किया। मुख्य वक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि आज पर्यावरण गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। जल जंगल और जमीन से आदिवासियों को खदेड़ा जा रहा है। किसान के लिए जमीन पर फसल उगाना घाटे का सौदा बनती जा रही है। पर्यावरण प्रदूषण के लिए केवल किसानों को जिम्मेदार ठहराना जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण व सामाजिक न्याय आपस में जुड़े हुए हैं। पर्यावरण संकट खड़ा होता है तो सबसे पहले उसका भुक्तभोगी गरीब आदमी होता है। इसलिए सामाजिक न्याय के लिए जल, जंगल, जमीन, जन व जानवर के अन्तर्सबंधों को मजबूत बनाना होगा।
देस हरियाणा के संपादक प्रोफेसर सुभाष चन्द्र ने कहा कि सामाजिक न्याय व पर्यावरण अलग विषय नहीं हैं। जंगल व जमीन से गरीब आदमी की रोजी रोटी जुडी हुई है। जंगल कटने का अर्थ है गरीब व वंचित समुदाय के लिए रोजी रोटी कमाने के अवसर ख़त्म हो जाना। इसलिए सामाजिक न्याय की लडाई में पर्यावरण के मुद्दों की अनदेखी नहीं की जा सकती।
प्रोफेसर सुनील थुआ ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। मंच संचालन सामाजिक कार्यकर्ता अविनाश सैनी ने किया। इस मौके पर डॉ. अशोक भाटिया, नीरा चतुर्वेदी, जितेन्द्र कुमार, विकास साल्याण, अरुण कैहरबा, राजकुमार जांगड़ा, धर्मेंद्र सैनी, वीरेंद्र वीरु, कमलेश चौधरी, राजेश कासनिया, रानी वत्स, मंजू, बलदेव सिंह मेहरोक, ओमप्रकाश करुणेश, नरेश सैनी, कीर्ति सैनी, मान सिंह चंदेल, नरेश कुमार दहिया, योगेश शर्मा व जगदीप जुगनू आदि उपस्थित रहे।
पंकज चतुर्वेदी मिला पहला विपुला स्मृति सत्य शोधक पुरस्कार-
देस हरियाणा व सत्यशोधक फाउंडेशन ने अपनी संस्थापिका एवं अध्यापिका विपुला जी की याद में सम्मान की शुरूआत की। विपुला स्मृति सत्यशोधक सम्मान पर्यावरणविद् एवं लेखक पंकज चतुर्वेदी को प्रदान किया गया। सम्मान के रूप में उन्हें स्मृति चिह्न, शॉल, पगड़ी व 11 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई।
पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित।
इस मौके पर यूनिक पब्लिशर्स के संयोजक विकास साल्यान द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न विषयों पर किताबें प्रदर्शित की गई। साहित्यकारों ने किताबें खरीदी, उनका आदान-प्रदान किया और पुस्तकों पर चर्चाएं की।