सिर्फ उपाधि या डिग्री के लिए शिक्षा ग्रहण न करें बल्कि संपूर्ण मानव बनने के लिए शिक्षित हो- प्रो. संजीव कुमार

■ माँ शारदा शिक्षण संस्थान में रजत जयंती समारोह का हुआ भव्य आयोजन,
■ आजमगढ़ और बलिया के कुलपति तथा कई शिक्षाविदों का हुआ सम्मान ,
■ छात्र-छात्राएं ज्ञानार्जन के लिए वि.वि./ महाविद्यालय आए, उपाधि लेने के लिए नहीं,
……. प्रो. संजीव कुमार

आज़मगढ़। महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय जो जनपद के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित माँ शारदा पी०जी० कॉलेज, शम्भूपुर गहजी, आजमगढ़ के परिसर में अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर आज भव्य रजत जयंती समारोह मनाया। यह आयोजन शुद्ध रूप से शैक्षणिक था, जिसमें शिक्षा जगत की अनेक प्रतिष्ठित विभूतियाँ उपस्थित रही।

इस सारस्वत कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय, आजमगढ़ के कुलपति प्रो. संजीव कुमार, तथा मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. नरेश चंद गौतम के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया के कुलपति और इसी धरती के लाल प्रो. संजीत कुमार गुप्ता, प्रो. हरिकेश सिंह, डॉ. बी एल आर्य एवं डॉ. घनश्याम सिंह आदि ने अतिथि के रूप में सहभाग किया। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत मां सरस्वती, एवं हिंदू समाज के प्रथम देवता गणेश भगवान व क्षेत्रीय जनता के आराध्य देव मौनी बाबा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय की बेटियां ने कार्यक्रम की शुरुआत में सरस्वती वंदना के माध्यम से ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की , पीजी की बेटियां स्वागत गीत के माध्यम से अतिथियों के प्रति महाविद्यालय का स्नेह अर्पित किया। फिर प्राचार्य डॉ. दिवाकर सिंह ने आए हुए अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किए, तथा महाविद्यालय के संस्थापक/ प्रबंधक बाबू फौजदार सिंह ने अपने इस महाविद्यालय के निर्माण एवं सृजन में संघर्ष की गाथा प्रस्तुत की।

महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ के कुलपति प्रो संजीव कुमार ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा कि सबसे पहले तो आयोजन समिति को इतना भव्य आयोजन के लिए बधाई। विद्यालय के संस्थापक फौजदार सिंह को मेरा सुझाव है कि सरकारी योजना का लाभ उठाते हुए इस महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के रूप में परिवर्तित करें हम सभी की शुभकामनाएं इनके साथ है। छात्रों और छात्राओं की तरफ मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि आप सिर्फ उपाधि या डिग्री के लिए शिक्षा ग्रहण न करें बल्कि संपूर्ण मानव बनने के लिए शिक्षित हो। कुलपति ने कहा कि कुछ शोधार्थी आते हैं उनसे पूछा जाता है कि आपका लक्ष्य क्या है तो उनका उत्तर बड़ा हास्यास्पद होता है कहते हैं पीएचडी करना, जबकि हकीकत यह है की पीएचडी उपाधि है छात्र रिसर्च करने आता है।
मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर गौतम जी ने कहा कि जो पौधा मैंने लगाया, आज बट वृक्ष का रूप ले लिया है। इसके लिए संस्थापक फौजदार सिंह को बधाई। प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने फौजदार सिंह को फाइटर कहकर के न सिर्फ संबोधित किया अपितु उन्हें सिक्स लेन के आसपास प्राइवेट विश्वविद्यालय स्थापित करने का मशविरा दिया। पूर्व कुलसचिव डॉ. बीएल आर्य जी ने कहा कि मुझे खुशी है कि यह महाविद्यालय फर्श से अर्श पर पहुंच गया है। इसके लिए संस्थापक के साथ पूरी टीम को बधाई। डॉ. घनश्याम सिंह एवं लालजी सिंह ने महाविद्यालय की प्रगति के प्रति हर्ष व्यक्त करते हुए बधाई दी। कार्यक्रम की खूबसूरती यह थी कि प्रबंधक एवं आयोजन समिति अतीत में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किए जाने वाले सभी सहयोगियों को सम्मानित कर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते देखे गए। पत्रकार बंधुओ के साथ-साथ शिल्पकार, प्रबंधक ,अधिकारी एवं शिक्षाविदों को अंग वस्त्रम प्रतीक चिन्ह एवं उपहार के साथ-साथ आम जनमानस को अंग वस्त्रम देकर उनके आगमन को प्रणाम किया गया।
कार्यक्रम में कई शिक्षाविदों के साथ-साथ भारी संख्या में प्रबंधक गण, आयोजन समिति के सदस्य जिसमें मुख्य रूप से डॉ. मिश्रा जी प्राचार्य, राममिलन सिंह, हरिबंश सिंह संजय उर्फ गुड्डू, हरिद्वार सिंह अनित रवि राय प्रो. प्रशांत राय आदि के साथ-साथ भारी संख्या में छात्र-छात्राओं एवं ग्रामवासी तथा क्षेत्र वासियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
प्रबंधक बाबू फौजदार सिंह ने बताया कि माँ शारदा महाविद्यालय के प्रबंधक बाबू फौजदार सिंह ने इसे मौनी बाबा के चरणों में समर्पित करते हुए कहा कि यह सबके सामूहिक सहयोग से उपलब्धि प्राप्त हुई है।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों के डॉ. प्रवेश कुमार सिंह, डॉ. प्रशांत राय ,डॉ. जयप्रकाश यादव आदि के साथ-साथ भारी संख्या में शिक्षाविदो प्रबंधको एवं बुद्धिजीवी वर्गों आदि का जमावड़ा रहा।



