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जीते-जी सेवा का जुनून और मरणोपरांत शरीरदान कर अमर हो गए रामकुमार इन्सां

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी दूरभाष – 9416191877

कुरुक्षेत्र : जिस धरा पर भगवान श्री कृष्ण ने गीता का महाज्ञान पूरी दुनिया को दिया, उसी पावन धरा का रामकुमार ने देहदानी के रूप में पहचान बना ली है। बात कर रहे हैं ज्योतिसर से सटे गांव रावगढ निवासी 65 वर्षीय रामकुमार की, जिनकी मृत्यु के उपरांत स्वेच्छा से उनके शरीर का दान मेडिकल शोध के लिए किया गया है। जीते इन्सानियत की सेवा में लीन रहने वाले रामकुमार की मृत्यु मंगलवार को हो गई थी। जीते जी उनकी इच्छा थी के मरणोपरांत उसके शरीर का दान किया जाए, इसके लिए रामकुमार इन्सां ने डेरा सच्चा सौदा में देहदान का फार्म भी भरा हुआ था। उनकी इच्छा के अनुसार परिवार के लोगों ने रामकुमार की मुत्यु के बाद उनके शरीर का दान किया गया है। उनकी देह को हिसार के बरवाला स्थित नेशनल कॉलेज ऑफ आयुर्वेदा एंड हॉस्पिटल एंबुलेंस के माध्यम से ले जाया गया। अंतिम विदाई देने के लिए शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर कमेटी के सैंकड़ों सदस्यों ने उन्हे श्रृंखला बनाकर अंतिम विदाई दी। वहीं परिजनों, रिश्तेदारों व ग्रामीणों ने रामकुमार को सैल्यूट किया। इस दौरान रामकुमार इन्सां अमर रहे व शरीरदान महादान जैसे नारों से आसमान गुंजायमान हो गया। इस मौके पर सरपंच नारंग, प्रवीण कडामी, कृष्ण, सलिंद्र पाल, दिनेश, तरसेम, बृजभूषण सहित सैंकड़ों लोग मौजूद थे।
शरीरदानी रामकुमार इन्सां के पुत्र रोडवेज विभाग में कार्यरत रोशन लाल ने जानकारी देते हुए बताया कि तीन चार दिन की बीमारी के बाद उसके पिता रामकुमार इन्सां की मृत्यु हो गई। वे जीते जी कहते थे कि मरने के उपरांत उसकी देह का दान किया जाए। उनकी इच्छा को पूरा करते हुए उन्होने अपने पिता की देह का मेडिकल में शोध के लिए दान किया गया है। रोशन लाल ने बताया कि रामकुमार इन्सां नहर विभाग से बेलदार सेवानिवृत्त थे। शरीरदानी रामकुमार अपने पीछे पत्नी कृष्णा देवी, भाई बीरबल सिंह, भाभी राजरानी, दो पुत्रों रोशन लाल व सोहनलाल, पुत्री सुनीता देवी, पुत्रवधू रूबि व प्रवीण कुमारी, पौत्र गुरजंट गुरजीत व गुरवीर व पौत्री गुरजोत को छोड़ गए हैं।
गांव के सरपंच नारंग ने रामकुमार इन्सां को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रामकुमार बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे। नौकरी के दौराव व बाद में वे हर वक्त सेवा कार्यों में लीन रहते थे। उन्हे गर्व है कि उनके गांव से पहले व्यक्ति रामकुमार इन्सां के शरीर का दान मेडिकल शोध के लिए किया गया है। रामकुमार इन्सां हर व्यक्ति के लिए पे्ररणा बन गए हैं।
अमर रहे के नारों से गूंजा गांव।
जैसे ही रामकुमार इन्सां की पार्थिव देह को दान के लिए एंबुलेंस के माध्यम से ले जाया जा रहा था तो पूरा गांव शरीरदानी रामकुमार इन्सां अमर व शरीरदान महादान के नारों से गूंज गया। सैंकड़ों लोगों ने नम आंखों से रामकुमार इन्सां को अंतिम विदाई दी।
ढाई हजार से ज्यादा डेरा श्रद्धालुओं का हो चुका शरीरदान।
डेरा सच्चा सौदा के सच्चे नम्र सेवादार प्रवीण कड़ामी इन्सां व सलिंद्र पाल ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं पर चलते हुए सेवादार मरणोपरांत शरीरदान कर रहे हैं ताकि मेडिकल शोध के लिए काम आ सके। प्रवीण ने कहा कि पहले शोध के लिए मानव शरीर नही मिल पाता था। ऐसे में डेरा सच्चा सौदा ने मुहिम चलाई और अब मरणोपरांत संगत के लोग देहदान कर रहे हैं। उन्होने बताया कि अब तक ढाई हजार से ज्यादा डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु शरीरदान कर चुके हैं।
शरीरदानी रामकुमार इन्सां को विदाई देेते शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर कमेटी के सदस्य। शरीरदानी रामकुमार इन्सां।

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