अस्तिभाव में रहो तो मन शांत रहेगा : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश और समर्थगुरू मैत्री संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. मिश्रा ने मंगलवार को विशेष सात्विक मुखीजा के जन्मदिवस पर आयोजित श्री दुर्गा मां के संकीर्तन में कार्यक्रम में, सीमा मुखीजा,गगन मुखीजा, हैरी मुखीजा और उनके परिवार को आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी द्वारा रचित वात्सल्य प्रज्ञा भेंट की गई। इस शुभ अवसर पर सुमित्रा पाहवा,ऊषा शर्मा, अनु पाहवा, निशा अरोड़ा, कोमल मेहरा, पायल सैनी,आशा कवात्रा, शिमला धीमान,भक्त सुशील तलवाड़ और संगीता तलवाड़ के साथ सभी भक्तों ने मां दुर्गा की भेंटे गाई और सुन्दर नृत्य किया। पण्डित राहुल मिश्रा ने वैदिक मंत्रों से मां दुर्गा की पूजा अर्चना और आरती करवाई।
डॉ. मिश्रा ने भगवान राम के सद्गुणों का गुणगान किया और सभी का जीवन मंगलमय हो उसके लिए ध्यान और सामूहिक प्रार्थना की। सभी सहयोगियों और भक्तों का हार्दिक आभार प्रकट किया और बताया कि हम सभी को प्रेम और भक्ति से भगवान् का ध्यान और नाम जप करना चाहिए। समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी का सनातन धर्म में बहुत योगदान है। उनके द्वारा रचित श्री सिद्धार्थ रामायण और श्रीमद्भगवदगीता का बहुत सुन्दर भावानुवाद उन सभी को समर्पित है,जो भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण को प्रेम करते है तथा सहजयोग के मार्ग पर चलना चाहते है। यह सभी साधकों के लिये पठनीय और संग्रहणीय है। जिसको समर्थगुरु धाम के गैलेरिया, मुरथल से साधक गण प्राप्त कर सकते है और अपने पारिवारिक जीवन को बहुत सुंदर बना सकते है। ट्वीटर के माध्यम से आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि काम को क्रोध को जीत लेता है जो,तात ज्ञानी वही सुखी होता अहो। आत्मस्थित हो साक्षी रहता सदा,ज्ञानी वही सुखी रहता सर्वदा। बुद्धि मन के परे, कोई इच्छा नहीं, तात साक्षी होकर, मुक्त होता वही। ज्ञानी होता प्रतिष्ठित है योग में, मुक्त होकर जीता परम योग में।
अस्तिभाव में रहो। सामन्यतः जो नहीं है उस पर हमारी नज़र है, उसके संबंध में हमारा चिंतन चलता रहता है, लेकिन बहुत कुछ है ज़िन्दगी मे,जिसके बारे मे हम सोच सकते हैं।
काउंट योउर ब्लेसिंग्स. जो है उसका ख्याल करो। है-भाव अगर बना हुआ है,जो है उस पर ख्याल है, तो मन शांत रहेगा।




