हरियाणा पवेलियन की नई पहचान बनी ‘मीडिया चौपाल’

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 5 दिसंबर : अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव 2025 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित ‘हरियाणवी मीडिया चौपाल’ इस वर्ष हरियाणा पवेलियन की सबसे बड़ी पहचान बनकर उभरी। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के दूरदर्शी मार्गदर्शन में युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान ने पहली बार ऐसी नवोन्मेषी पहल कर हरियाणा पवेलियन को नई पहचान दी है। यह मीडिया चौपाल आधुनिक तकनीक और हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत संगम बन गई। यहाँ प्रस्तुत कला, वेशभूषा, लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्य, पेंटिंग्स, लोकगीत और पॉडकास्ट रील के माध्यम से गीता के संदेश का प्रसार ने पूरे पवेलियन को एक नई रौनक दी। यह पहली बार था जब हरियाणा पवेलियन में तकनीकी माध्यमों से संस्कृति का इतना सशक्त प्रदर्शन देखने को मिला।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने की खुलकर सराहना।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा पवेलियन कें मीडिया चौपाल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह पहल युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का प्रभावशाली माध्यम है और विश्वविद्यालय द्वारा किया गया यह प्रयोग हरियाणा की परंपराओं को नया जीवन देगा। मीडिया चौपाल में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार, जिला परिषद के उपाध्यक्ष धर्मपाल चौधरी तथा मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर तुषार सैनी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने मीडिया चौपाल को प्रेरणादायक और उल्लेखनीय बताया। इसके अतिरिक्त मीडिया चौपाल में गीता ज्ञान संस्थानम गुरुकुल, कुरुक्षेत्र के बीस सदस्यीय विद्यार्थियों के दल ने गीता के इतिहास, गीता का सार, गीता संदेश, गीता के श्लोकों पर बातचीत की।
मीडिया चौपाल संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसालः प्रो. महासिंह पूनिया।
मीडिया संस्थान के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि हरियाणा पवेलियन में ‘मीडिया चौपाल’ ने यह सिद्ध कर दिया कि जब पारंपरिक संस्कृति का मेल आधुनिक संचार तकनीक से होता है, तो वह न केवल ध्यान आकर्षित करती है बल्कि समाज में जागरूकता और गर्व का भाव भी जगाती है। यह पहल आने वाले वर्षों में हरियाणा पवेलियन की पहचान बनकर संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल कायम करेगी।
‘कच्ची घोड़ी’ शैली का पुनर्जीवन।
मीडिया संस्थान के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि कुलपति की प्रेरणा से पहली बार हरियाणा पवेलियन में बनाई गई यह चौपाल छात्रों की रचनात्मकता का मंच बनी है। मास्टर राजकुमार की कच्ची घोड़ी (बुसाना, गोहाना) ने अपनी पारंपरिक गायन और नृत्य शैली से हजारों लोगों को आकर्षित किया। विवाह-शादियों और तीज-त्योहारों की शान रही ‘कच्ची घोड़ी’ जो आधुनिकता की भीड़ में लगभग विलुप्त होती जा रही थी, मीडिया चौपाल ने उसे फिर से जीवंत कर दिया।
सपेरा संस्कृति’ को बचाने की पहल
मीडिया चौपाल में सदियों पुरानी सपेरा संस्कृति धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही इस पर चिंता जताई गई। सपेरा समुदाय की परंपराएँ, उनके लोकगीत, नृत्य, वाद्ययंत्र और प्रकृति के साथ उनका अनोखा संबंध आज नई पीढ़ी तक पहुँच ही नहीं पा रहा। चौपाल में इस संस्कृति को बचाने के लिए सपेरा कला की प्रस्तुतियाँ आयोजित करने और युवाओं को इसके प्रशिक्षण से जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए। हरियाणा पवेलियन की यह कोशिश लोक संस्कृति संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज को अपनी जड़ों से जोड़ने का संदेश देती है।
तकनीक और परंपरा का अनूठा समन्वय
मीडिया चौपाल में छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक हरियाणवी संचार तरीकों चौपाल, पगड़ी, मिट्टी के खिलौने, लोक वाद्यों को आधुनिक मीडिया जैसे पॉडकास्ट, डॉक्यूमेंट्री, रील, फोटोग्राफी और डिजिटल प्रदर्शनी के साथ जोड़कर प्रदर्शित किया। इससे यह स्पष्ट संदेश गया कि तकनीक का सही उपयोग संस्कृति को बचाने और विश्व तक पहुँचाने का सबसे प्रभावी माध्यम है। उजबेकिस्तान, कज़ाकिस्तान और श्रीलंका के कलाकारों ने मीडिया चौपाल पर अपने देश की लोक कलाओं, लोक संस्कृति जिनमें मुख्यतः बुनाई-कढ़ाई पर खास चर्चा की।
शिक्षकों और विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस पहल को सफल बनाने में मीडिया संस्थान के संकाय सदस्यों डॉ.आबिद अली, डॉ. प्रदीप राय, डॉ. अभिनव कटारिया, डॉ. सतीश राणा तथा विद्यार्थियों मानसी, ज्योति, अंजली, अंकिता, वीनू, अरुण, गजेंद्र, लक्ष्य आदि ने अहम योगदान दिया।




