बरेली: भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर

भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ने आठ जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीकी को देष के 7 राज्यों को हस्तांतरित की गयी और उनके प्रतिनिधियों को पॉच दिन का प्रशिक्षण दिया।
आईवीआरआई,इज्जतनगर के पशु आनुवंशिकी विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रणवीर सिंह ने जैविक कचरा और गोबर से दो माह में केंचुआ जैविक खाद बनाने की स्वदेशी जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीकी विकसित की है। डॉ सिंह ने बताया कि जय गोपाल केंचुआ की प्रजाति 46 डिग्री सेल्सीयस तापक्रम तक जीवित रहती है इसमें विदेशी केंचुओं की प्रजाति के मुकावले ताप सहनशील, प्रति सप्ताह अधिक कोकून तथा कोकून से अधिक बच्चे निकलने की क्षमता है। इस प्रजाति का केंचुआ जैविक खाद (वर्मीकास्ट) विदेशी केंचुओं की प्रजातियों से श्रेष्ठ होता है। इन विशेषताओं और वर्तमान में जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये हमारे संस्थान से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्र, गौशालाओं, राज्य सस्कारों, भा.कृ.अ.प. के संस्थानों, किसानों, सेना की छावनियों, सेना की विभिन्न केन्द्र/इकाइयों, किसानों और उद्यमियों ने अब तक 70 से अधिक जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीकीयों खरीदी हैं तथा प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वर्तमान में इस तकनीकी की कीमत रू0 59000/- रूपये है।
इस बार सात राज्यों में गोविन्द वल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पन्तनगर, उधमसिंह नगर (उत्तराखण्ड); कृषि विज्ञान केन्द्र पानी सागर, उत्तरी त्रिपुरा; कृषि प्रोद्यौगिकी अनुपयोगी शोध संस्थान(अटारी), पटना, बिहार; गिर गौ जतन संस्थान, गौंडल राजकोट, गुजरात; करिश्मा आरगेनिक, महासमुन्द, छत्तीसगढ़, छावनी, बरेली (उ.प्र.); श्री मोहसिन अब्बास काजमी, गॉव अमेठिया सलेमपुर, काकोरी, लखनऊ और श्री अभिषेक हान्डा, प्रोग्रेस वर्क्स प्राइवेट लिमिटिड रजिस्टर्ड कार्यालय, डी-18/डी आहूलवालिया एक्सटेन्सन गॉवः फतेहपुर सेक्टर-20 पंचकुला हरियाणा ने खरीदी है।
जय गोपाल तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया में इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों की टीम जिसमें एक पर्यवेक्षक तथा एक से चार तक मजदूरों को पॉच दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। इस अवधि में केंचुऑं की कचरा खाने वाली प्रजातियॉ के गुण तथा पहचान, केंचुआ पालन के लिये वर्मी टैंक और आवास का निर्माण, केंचुओं का आहार बनाने की विधियों, केंचुआ जैविक तरल खाद और केंचुआ जैविक खाद के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया है। सभी प्रशिक्षुओं को वर्मीकम्पोस्ट की फील्ड यूनिट तथा इसका सब्जीयों,मैंथा और गुलाब में प्रयोग के प्रदर्शन भी दिखाये गये एवं नेहाल सिंह एक किसान जो केंचुआ पालन करते हुए कैसे उद्यमी बन गया उसकी सफल कहानी और उनका मैंथा का प्रोसेसिंग प्लांट कसूमरा, आंवला बिसौली रोड,बरेली में पर जाकर के किसानों को और प्रशिक्षुओं को भ्रमण कराया। प्रशिक्षण के अन्तिम दिन जौनपुर जिले के 50 किसानों को भी जय गोपाल वर्मीकल्चर और जैविक खाद बनाने के प्रदशनों को दिखाया गया। सभी प्रशिक्षुओं ने स्वंय से केंचुआ जैविक खाद बनाने वर्मीकल्चर उत्पादन आदि के प्रयोग किये। प्रशिक्षण के पाचवें दिन सभी को जय गोपाल वर्मीकल्चर बैग में पैक करके सौंपा गया।
डा. महेश चन्द्र, प्रधान वैज्ञानिक ने सभी प्रशिक्षुओं को केंचुआ पालन एवं केंचुआ जैविक खाद बनाने के क्षेत्र में कैसे उद्यमिता विकास किया जाये इस विषय पर विस्तृत से बताया गया। सभी प्रशिक्षुओं को केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में गिरी तकनीकी पार्क में पिछवाड़ा मुर्गीपालन, केंचुआ पालन सहजन/बरसीम और जैविक कचरे का प्रबन्धन के माडल का आर्थिक विषेशण बताया गया जिससे वह मुर्गीयों में आहार को कम करके केंचुआ और सहजन/बरसीम की खिलाई करके कैसे खर्चा को मुर्गीपालन पर कम किया जा सकता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 72 किसान/उद्यमी/गोपालक/वैज्ञानिक/वस्तु विषय विषेशज्ञों ने भाग लिया।

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