कारागृह जीवन में सुधार लाने हेतु तपोस्थल है : भगवान भाई

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

ब्रह्माकुमारीज : मुख्यालय से पधारे बीके भगवान भाई ने जिला जेल में बंदियों को दिए टिप्स।

कुरुक्षेत्र, 28 मार्च :
ब्रह्माकुमारीज : मुख्यालय माउंट आबू (राजस्थान) से पधारे ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि कारागृह तुम्हारे जीवन में सुधार लाने हेतु तपोस्थल है। इस तपोस्थली में एकांत में बैठ कर जिस संस्कार व बुराई के कारण अपराध हुआ है, उसको परिवर्तन कर तुम्हें फिर समाज में जाना है। वे जिला कारागृह (जेल) कुरुक्षेत्र में बंदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर सराबोर कर रहे थे। बीके भगवान भाई ने कहा कि यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें तुम्हें स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा गया है, शिक्षा देने हेतु नहीं। कारागृह संस्कार परिवर्तन हेतु सुधारगृह है। तुम इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो, इसमें एक दूसरे से बदला लेने की बजाए स्वयं को बदलना है क्योंकि बदला लेने से समस्या और भी बद जाती है। भगवान भाई ने कैदियों को कहा कि बदला लेने के बजाय स्वयं को ही बदल कर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने समझाया कि हम किसके बच्चे हैं! जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर, दयालु, कृपालु, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म न करें, जिस कारण धर्मराज पुरी में हमें सिर झुकाना पड़ें, पछताना पड़े, रोना पड़े। हमें स्वयं के अवगुण या बुराईयां को दूर भगाना हैं, ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह मनोविकार तो हमारे दुश्मन हैं, जिनके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं। जिन भूलों के कारण हम यहां आए है, उस भूलो को या बुराईयां को दूर करना है, तो हमारे अंदर की अपराधिक प्रवति में परिवर्तन आएगा। इन अवगुणों और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया है, इनसे दूर रहना है। जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सद्गुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझ कर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना हैं, तो अनेक दु:खो और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार तुम्हारे लिए सुधारगृह साबित होगा। अंहमारे जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई को अपने जीवन से खदेड़ कर हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने यह देश हमारे लिए स्वतंत्र बना कर खुशी, आनंद में रहने के लिए दिया है। भगवान भाई ने कहा कि जो जैसा करता है, वैसा फल पाता है। हमारे मन में पैदा होने वाले विचार कर्म से पहले आते हैं। उन्होंने बन्दियों को बताया कि बीती बात को भुला देना चाहिए तथा आगे की सोचनी चाहिए कि हे परमात्मा मेरे से कोई बुरा कार्य न हो। गलती करने वाले से माफ करने वाला बड़ा होता है। बदला लेने वाला दूसरों को दुख देने से पहले अपने आप को दुख देता है। सभी इंसान ईश्वर की संतान है तथा सभी एक महान आत्मा है, सभी संसार में अपना-अपना कर्तव्य करने के लिए आते हैं। अत: प्रत्येक व्यक्ति को यही सोचना चाहिए कि मुझे अच्छे कर्म करने के लिए संसार में जन्म लिया है, न कि बुरे कर्म करने के लिए। अत: हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए। उन्होंने कहा कि कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठ कर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचों कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं। मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं। मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है। मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। इस दौरान प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सेक्टर-8 की प्रभारी बी.के. मधु बहन ने बताया कि मनुष्य ने विषय वासनाओं की चादर ओढ़ी हुई है, जो भगवान से वेमुख कर देती है। अगर भगवान को सर्व सम्बन्धों से याद किया जाए, तो भगवान की शक्ति आ जाएगी और तन-मन में खुशी शान्ति आ जाएगी व सर्व मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी।डी.एस.पी. शिवेंद्र पाल ने ब्रह्माकुमारीज संस्था का ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम करने हेतु ब्रह्माकुमारीज को निमन्त्रण भी दिया। सेक्टर-8 केन्द्र की राजयोग शिक्षिका बी.के. उषा बहन ने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे, तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड़ दोगे तथा खुद ब खुद अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छूटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवनयापन करोगे। बीके संत कुमार भाई ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे, वैसा ही बन जाओगे। अत: हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में अपराध मुक्त बनने, मनोबल बढ़ाने, बुरी आदतों को छोड़ने और सस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेशन राजयोग कराया। कार्यक्रम में जेल वार्डन जसबीर सिंह व गुरप्रीत सिंह भी मौजूद रहे।

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