बिहार: बार रमजान में प्रति व्यक्ति गेंहू के हिसाब से 50 रुपिया फित्रा निकालने का हुआ एलान

,रमजान के तीसरे जुमा पर मस्जिदों में लोगों ने अकीदत के साथ की नमाज अदा,18 रोजा सम्पन्न

फोटो ,जुमा की नमाज पढ़ते लोग, जामा मस्जिद अररिया के इमाम मौलाना आफताब आलम

अररिया

रमजानुल मुबारक के तीसरे जुमा की नमाज में अररिया शहर के विभिन्न मस्जिदों में रोजेदार लोगों ने बड़ी संख्या में अकीदत के साथ नमाज अदा की। इसी के साथ 18 रोजा भी संपन्न हुआ । इस मौके पर शहर की सभी मस्जिद लगभग खचाखच भरी हुई थी ,शहर के मस्जिद उस्मान , कूबा मस्जिद ,नूरी मस्जिद ,यतीम खाना मस्जिद ,रजोखर मस्जिद , गैय्यारी मस्जिद ,ककोरवा बस्ती मस्जिद , सिसौना बस्ती मस्जिद , जामा मस्जिद अररिया आदि में बड़ी संख्या में लोगों ने रमजान के तीसरे जुमा की नमाज अदा की । इस मौके पर जिला की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक जामा मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना आफताब आलम मुजाहिरी ने अपनी तकरीर में कहा कि अभी रमजान का दूसरा असरा मगफेरत का चल रहा है, जो यह असरा अब दो दिन शेष रह गया है। इसके बाद 20 वीं रोजा से रमजान का तीसरा असरा शुरू हो जायेगी,जो जहन्नुम से निजात का असरा होगा। जिस असरे में लोग अपने रोजा और इबादत के जरिया अपनी मगफेरत और जहन्नुम से निजात की दुआ मांगते हैं,साथ ही उन्होंने अपनी तकरीर में कहा इस माहे मुबारक में किए जाने वाली तमाम नेकियों का सवाब सत्तर गुणा तक बढ़ा दी जाती है। उन्होंने खास तौर से युवाओं को कहा की आप अभी जिस उम्र से गुजर रहे है, इसमें आपकी इबादत अल्लाह को काफी पसंद है और जवानी की इबादत का सवाब भी ज्यादा है। मौलाना आफताब आलम ने आज जुमा की नमाज में फितरा निकालने की राशि का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा की इस बार रमजान में प्रति व्यक्ति गेहूं के हिसाब से 50 रुपिया फितरा निकालना है, जो ईद की नमाज से पहले पहले गरीब ,मजदूर ,बेबस लाचार ,यतीम ,विधवा और जरूरतमंद लोगों को दे देना चाहिए। बेहतर तो ये है की आप ये रकम उन्हे बीस रमजान तक दे देंगे तो बेहतर होगा ,ताकि वो लोग भी अपने बच्चों के साथ ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। मौलाना ने कहा की रमजान का महीना अपने दूसरे गरीब भाइयों के साथ हमदर्दी और नेक सुलूक करने का महीना है। सदकतुल फित्र की राशि अपने गरीब रिश्तेदार और पड़ोसी को प्राथमिकता के आधार पर देना बेहतर है। इसी के साथ 18 रोजा संपन्न हो गया,अब दो दिन के बाद यानि 20 रमजान से जहन्नुम से निजात का असरा शुरू हो जायेगा,जो अंतिम असरा होगा। इसमें खूब इबादत और कुरआन मजीद की तिलावत करें। खासकर रातों में तहज्जुद की नमाज में खूब अल्लाह से मांगे। इसके बाद 20 वीं रमजान के रात्रि से ही शबेकद्र शुरू हो जायेगी,जो हजार रातों से अफजल है। इमाम साहब ने बताया कि अल्लाह के नबी मोहम्मद साहब ( स ) इसे ताक रातों में (खोजने ) एहतमाम करने कहे हैं। वह ताक रात 21,23,25,27,और 29 है। जिसे शबे कद्र की ताक रात कहा जाता है, और जो हजार रातों से अफजल है।

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