बिहार: जावेद अहमद को पत्रकारिता विरासत में मिली

4 नवंबर 1974 को गोरखपुर में जन्मे, जावेद अहमद को पत्रकारिता विरासत में मिली, पिता कमर अहमद आज़ाद राष्ट्रभाषा रत्न से सम्मानित पत्रकार थे। जावेद ने 9 साल की उम्र से लिखना शुरू किया और भारत के लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखते रहे।

जावेद 1998 में मुंबई जा कर फ़िल्म उद्योग से जुड़ गये,सपना था फिल्में लिखना, लेकिन बहुत जल्द ही जावेद को एहसास हो गया कि ये डगर बहुत कठिन है।
पत्रकारिता से रिश्ता बना रहा ऑयर जावेद ने चैनल वी, सेट मैक्स, सहारा वन, स्टार प्लस जैसे टीवी चैनल के लिए बतौर लाइन प्रोड्यूसर किया और साथ ही लगभग 50 से ज़्यादा विज्ञापन फिल्में बनायीं।

इसी दौरान मुनमुन सेन की फ़िल्म “अंधेरी रातों में” की कथा और शशांक घोष निर्देशित
अरशद वारसी अभिनीत हिंदी फिल्म “वैसा भी होता है पार्ट Il ” की पटकथा लिखी। इस फिल्म का गीत “अल्लाह के बंदे हंस दे” बेहद लोकप्रिय हुआ।

जावेद को फिल्में लिखना रास नही आ रहा था, उनका कहना है, “वो वक़्त अलग था,एक नए लेखक का बड़े निर्माताओं तक पहुंच पाना ज़मज़म के पानी से खेत सींचने जैसा काम था, और मुम्बई जैसे शहर में सकून से रहने के लिए काम करना ज़रूरी था, पत्रकारिता से पेट पलता नही, इस लिए मैंने रास्ता बदल लिया, जो दो फिल्में लिखीं वो दोस्ती खाते में लिखी गयी और बन भी गईं”
जावेद 2009 में सहारा समय से जुड़े और फिर मस्ती टीवी पर जावेद अहमद ने राजू श्रीवास्तव, एहसान कुरैशी जैसे स्टैंडअप कॉमेडियन के लिए गैग्स लिखना शुरू किया जो काफी चर्चित हुए,उसके पश्चात जावेद अहमद का लिखे शो “गोल्डन एरा विथ अन्नू कपूर” ने लोकप्रियता का शिखर चूम लिया, और जावेद को अन्नू कपूर का साथ मिला,और ये साथ बिग एफ एम 92.7 पर “सुहाना सफर विथ अन्नू कपूर” जैसा शो लेकर आया, जिसने लगातार पांच साल रेडियो का सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय शो का दर्जनों अवार्ड जीता।
2011 में जावेद की मुलाकात मोइन बेग से हुई, जिनकी कहानी पर संजय लीला भंसाली ‘हीरा मंडी’ बनाना चाहते थे, और उन्हें कोई ऐसा पटकथा और संवाद लिखने वाला नहीं मिल रहा था, जिसकी उन्हें तलाश थी, जावेद ने तकरीबन बत्तीस सिन लिखा, जो भंसाली को पसंद तो आ गया। परंतु किसी कारण से जावेद ने फ़िल्म लिखने से मना कर दिया। फिर से ‘हीरा मंडी’ के लिए लेखक की तलाश शुरू हुई, लेकिन बात नही बनी और 2018 में एक दिन अचनाक जावेद को मोईन बेग का फोन आया कि तुम मिलो संजय तुमसे मिलना चाहते है, मुलाकात हुई, साइनिंग अमाउंट मिला और जावेद ने फ़िल्म के संवाद और डायलॉग का फर्स्ट ड्राफ्ट लिख कर दे दिया, परंतु तभी संजय सलमान खान के साथ ‘इंशाअल्लाह’ बनाने की तैयारी में जुड़ गए, ‘इंशाअल्लाह’ विवाद में फंस गई, और संजय ने तुरंतआलिया भट्ट के साथ ‘गंगूबाई काठियावाड़ ‘ शुरू कर दिया। ‘हीरा मंडी’ फिर एक बार अधर में पढ गयी, और जैसे ही ‘गंगूबाई काठियावाड़ ‘ पूरी हुई, संजय लीला भंसाली ने ‘हीरा मंडी’ पर वेब सीरीज बनाने की घोषणा कर दिया। लेकिन वेब सीरीज के साथ किसी कारणवश जावेद नही जुड़ सके।
वजह क्या थी ये शायद भविष्य में एक चर्चित विवाद बने, परंतु जावेद अभी इस विषय पर कुछ कहना नही चाहते है।
जावेद ने इन दिनों शौर्य म्यूजिक के लिए ‘अल्पविराम’, मिनिलाइव के लिए वेब सीरीज ‘प्राइमरी पाठशाला’ लिखा है जिसका निर्माण शुरू हो चुका है।इसके अलावा जावेद राजीव रुईया की ‘सामुहिक विवाह’, जुडो पर निर्देशक अमिताभा सिंह के लिए एक बायोपिक फ़िल्म ‘जुडो क्वीन’, निर्देशक श्याम धनोरकर की ‘शाहरुख सिद्दीकी बी.ए. एलएलबी’, निमिश धागत की ‘रश्क-ए-क़मर’ और एक तमिल फिल्म ‘लव यू थलाईवा’ लिख रहे है।
अपने फ़िल्म लेखन के सफर के बारे में जावेद का कहना है, “सिनेमा का सफर अभी शुरू नही हुआ था कि लॉक डाउन लग गया, सालों पहले जो फिल्में लिखीं, वो दोस्ती खाते में लिख दी थी, सिनेमा को कैरियर नही बनाना चाहता था, पर ‘हीरा मंडी’ लिखने के समय संजय लीला भंसाली ने बहुत प्रोत्साहित किया कि तुम्हें फ़िल्म लिखना चाहिए, अपनी प्रतिभा को सामने लाना चाहिए, कहाँ रेडियो और शो लिख कर वक़्त जाया कर रहे हो? और जब फ़िल्म लिखने की मानसिक रूप से तैयारी शुरू किया, लॉक डाउन ने ब्रेक लगा दिया, फिर भी मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूँ कि बहुत कम समय मे मेरे पास कई फिल्में है, और हर फिल्म अपने आप मे एक अलग रंग लिए हुए है जो दर्शकों के दिलों को अपने रंग में रंग लेगी”

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