बिहार: कवि रविन्द्र नाथ ठाकुर हमारे बीच नहीं रहे

भरि नगर में शोर, बौआ मामी तोहर गोर, मामा चान सन-के गीतकार पूर्णिया धमदाहा निवासी कवि रविन्द्र नाथ ठाकुर हमारे बीच नहीं रहे। बीते दिन लंबी बीमारी के बाद दिल्ली में उनका निधन हो गया। उनके निधन से संपूर्ण कोसी अंचल एवं मिथिलांचल मर्माहत है। ऐसे अवसर पर साहित्यांगन के सदस्य साहित्यकारों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि कवि रविन्द्र मैथिली साहित्य के कीर्ति स्तंभ थे, जिन्होंने मैथिली साहित्य को एक अभिनव ऊंचाई दी। वे मैथिली कला, साहित्य एवं सिनेमा जगत के महानायक थे। वे अंतिम समय तक मैथिली के लिए काम करते रहे। ममता गाबय गीत उनके द्वारा निर्मित मैथिली की पहली फिल्म है, जिसके गीत भी उन्होंने ही लिखे। उनके द्वारा रचित मैथिली के अनेक गीत ऐसे हैं, जो आज भी कोसी अंचल एवं मिथिलांचल के सभी घरों में गुनगुनाए जाते हैं। गीतकार रविन्द्र के गीतों को महेंद्र कपूर, सुमन कल्याणपुरी, गीता दत्त तथा उदित नारायण जैसे चोटि के गायकों ने अपना स्वर दिया। मैथिली के मूर्धन्य गीतकार, कवि रविन्द्र को मैथिली के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अनेक सम्मानों से अलंकृत किया गया। कवि नागार्जुन ने तो उन्हें अभिनव विद्यापति उपनाम से विभूषित किया था। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ऐसे विभूति के आकस्मिक निधन पर डा०राम नरेश भक्त, शिव नारायण शर्मा व्यथित, डॉ सुवंश ठाकुर अकेला, डा०उत्तिमा केशरी, राजू गीरापु, राकेश कुमार कर्ण तथा नरेश कुमार आदि ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

प्रस्तुति
शिव नारायण शर्मा व्यथित
कवि पूर्णिया
मोबाइल न 7520264850

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