राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का सीएमओ ने किया शुभारंभ

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का सीएमओ ने किया शुभारंभ

• छात्र-छात्राओं को खिलाई गई पेट के कीड़े मारने की दवा एल्बेण्डाज़ोल की गोली

आजमगढ़।राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आईएन तिवारी द्वारा बुधवार को जाफरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।इस अवसर पर डॉ तिवारी ने बताया कि जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों एवं समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक से 19 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को एल्बेन्डाजोल की गोली खिलाई जायेगी। यह दवा बच्चों को पेट में कृमि को समाप्त करने के लिए दी जाती है।इस अवसर पर कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एनडीडी डॉ वाई प्रसाद ने बताया कि दवा को नियमानुसार खाना अनिवार्य है। इस दवा के सेवन न करने से पेट में होने वाले कीड़े या कृमि से बच्चों के शरीर में पोषण की कमी हो जाती है। बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। बच्चे के कमजोर शरीर में अनेक बीमारियां जैसे खून की कमी (एनीमिया) इत्यादि होने लगती है।
उन्होने बताया की कृमि पोषण उत्तकों से भोजन लेते हैं जैसे रक्त, जिससे खून की कमी हो जाती है। क्योंकि इन बच्चों एवं किशोर-किशोरियों में संक्रमण से खून की कमी होती है, जिससे मानसिक एवं शारीरिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कृमि के कारण कुपोषण में वृद्धि और शारीरिक विकास पर खास असर पड़ता है। उन्होने बताया कि जनपद में कुल 20 लाख से अधिक बच्चों को कृमि नियंत्रण के लिए एल्बेण्डाजाल की गोली निःशुल्क खिलाई जाएगी। वहीं छूटे हुये बच्चों को 25 से 27 जुलाई को मॉपअप राउंड में गोली खिलाई जाएगी।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कंचन पाण्डेय ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे। प्राथमिक विद्यालय अतरौलिया के सात वर्षीय लाभार्थी राजू की माँ ने बताया कि मेरे बच्चे को आज उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है।
क्यों खाएं दवा- कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. वाई प्रसाद ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।
इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ० संजय कुमार, डॉ० अजीज, डॉ शकील अहमद, जिला समन्वयक प्रदीप मिश्रा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्कूल के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक उपस्थित रहे।

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