कोहरे की ठंड से ठिठुरने को मजबूर निराश्रित तथा राहगीर, नगर -निगम प्रशासन बना अंजान

कोहरे की ठंड से ठिठुरने को मजबूर निराश्रित तथा राहगीर, नगर -निगम प्रशासन बना अंजान

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : सीबीगंज,सर्दी के मौसम में ठंड से निराश्रितों और राहगीरों को बचाने के लिए शासन के निर्देश पर प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर से अलाव जलने शुरू हो जाते रहे हैं। लेकिन इस बार न तो नगरीय क्षेत्र में और न ही ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा कुछ होता नजर आ रहा है। वहीं पिछले तीन दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड से आम जनजीवन बेहाल है। शीत लहर से बचाने के इस बार जिला प्रशासन ने सीबीगंज क्षेत्र में कंबल बांटना तो दूर, अलाव जलाने तक की व्यवस्था अभी तक शुरू नही की है। जिससे निराश्रित और राहगीर ठंड में ठिठुरते नजर आ रहे हैं। क्षेत्र की जनता के बीच इसको लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है, और लोग अलाव न जलने पर अफसरों को कोस रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। शाम होते ही मौसम में ठंड बढनी शुरू हो जाती है और रात में कड़ाके की ठंड पड़ने से आम लोगों का जीना बेहाल हो गया है। इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर जब हमने सीबीगंज क्षेत्र के नगरीय क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र के पार्षदों और प्रधानों से बात की तब इनके द्वारा क्या कहा गया आइये जानते है। नगर निगम के वार्ड 22 खलीलपुर के पार्षद रचित गुप्ता ने बताया, कि अभी तक नगर निगम द्वारा अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। हालांकि हर वर्ष दिसंबर के शुरू होते ही अलाव की व्यवस्था हो जाती थी लेकिन इस बार क्यों देरी हो रही है, इसके बारे में अधिकारियों से जल्द बात की जाएगी। वहीं वार्ड 73 विधौलिया के पार्षद गुलवशर ने कहा, कि अभी तक नगर निगम द्वारा लकड़ी भेजने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, और न ही भेजी गई है। ठंड में जनता का बुरा हाल है और नगर निगम आंख बंद कर सो रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो, सीबीगंज क्षेत्र के गांव चन्दपुर काजियान, जोगियान, ऐना, जोगीठेर के प्रधानों ने बताया कि अभी तक क्षेत्र में न ही कम्बल वितरित किये गए हैं और न ही कहीं पर अलाव की व्यवस्था हुई है। दिसंबर का महीना बीतने को है, लेकिन अभी तक सीबीगंज क्षेत्र में कहीं पर भी अलाव जलने शुरू नहीं हुए हैं। अलाव न होने की वजह से लोग ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं। तीन दिनों से मौसम ने अचानक करवट बदली और सर्द हवाओं के चलने से गलन बढ़ गई। जिसके बाद अफसरों को अपने-अपने क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था कर देनी चाहिए थी, लेकिन अफसर अभी तक मूकदर्शक बने हुए हैं। वहीं दूसरी ओर मौसम में तेजी से हो रहे परिवर्तन के चलते सार्वजनिक स्थलों पर आम लोग अलाव के साथ निराश्रित कंबल वितरण का इंतजार भी कर रहे हैं। अब देखना होगा कि नगर निगम और तहसील के अधिकारी कब अलाव की लकड़ी और कम्बल की व्यवस्था करते हैं और कब अलाव के जलने और कम्बल की गर्माहट से राहगीरों और निराश्रितों के साथ क्षेत्र की जनता को राहत मिल सकेगी।

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