न घबराएं फाइलेरिया से बचाव की दवाएं खाएं: जिला मलेरिया अधिकारी
✍️ कन्नौज रिपोर्टर प्रशांत त्रिवेदी
कन्नौज । जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बेहतर प्रबंधन को लेकर एमएमडीपी कैम्प चलाए जा रहे है। इसी क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छिबरामऊ में आयोजित शिविर के दौरान सभी मरीजों को बाल्टी, मग, टब ,तौलिया, साबुन व एन्टी फंगल क्रीम दिया गया| इसके बाद किट के इस्तेमाल करने का डेमो भी दिखाया गया। इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी डा.हिलाल अहमद खान ने बताया कि फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने शरीर की नियमित सफाई करनी चाहिए। हाथ पैरों पर अगर कहीं कोई घाव है तो उसे अच्छे से साफ करें और सुखाकर उस पर दवाई लगाएं। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। फाइलेरिया रोग किसी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। फाइलेरिया के सामान्य लक्षण फाइलेरिया के मरीज के हाथ पैर में सूजन का होना व हाइड्रोसील अंडकोष में सूजन का होना है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि यदि किसी को इस बीमार के लक्षण नजर आते हैं । तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं। जिले में इस समय 332 फाइलेरिया रोगी है जिनका नि: शुल्क इलाज चल रहा है। पार्थ संस्था के प्रतिनिधि डा.शिवकांत ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर रोग है। जिससे फाइलेरिया की दवा सेवन करने के बाद ही बचा जा सकता है। कभी-कभी फाइलेरिया के परजीवी शरीर में होने के बाद भी इसके लक्ष्ण सामने आने में वर्षों लग जाता है। इसलिए फाइलेरिया की दवा का सेवन सभी लोगों के लिए लाभकारी है।
उन्होंने बताया फाइलेरिया दवा सेवन अभियान के दौरान लोग खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। 2 साल से कम उम्र के बच्चे, गंभीर रोग से ग्रसित एवं गर्भवती महिला को फाइलेरिया की दवा का सेवन नहीं करना है।
सामुदायिक केन्द्र के चिकित्साधीक्षक डा.राहूल मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया किसी को भी हो सकता है। और यह मच्छर के काटने से फैलता है। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया रोगियों को चिह्नित करती हैं और ऐसे ही कैम्पों के माध्यम से उनका उचित प्रबंधन किया जाता है।
छिबरामऊ ब्लाक के ग्राम बहावलपुर निवासी 56 वर्षीय कृष्ण कुमार ने बताया कि मुझे लगभग 10 साल से एक पैर में सूजन आ गई मैंने निजी चिकित्सकों से ईलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला l अब मैं मलेरिया विभाग के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में दवाई ले रहा जिससें मुझे काफी आराम है।
क्या है फाइलेरिया
इसे हाथीपांव रोग के नाम से भी जाना जाता है। बुखार का आना, शरीर पर लाल धब्बे या दाग का होना एवं शरीर के अंगों में सूजन का आना फाइलेरिया की शुरुआती लक्ष्ण होते हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को इसके कारण आजीविका एवं काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।
ऐसे करें बचाव
रात को सोते वक्त मच्छरदानी प्रयोग करें।
पूरी बाजू के कपड़े पहने।
आस-पास गंदगी या कूड़ा जमा न होने दें।
नालियों में पानी रुकने न दें।
रोगी को दवा खाली पेट नहीं लेनी चाहिए।