मन्सा वाचा और कर्मणा से शुभ भावना रखते हुए निर्जला एकादशी व्रत करें : डॉ. मिश्रा

मन्सा वाचा और कर्मणा से शुभ भावना रखते हुए निर्जला एकादशी व्रत करें : डॉ. मिश्रा
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर,पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि पंचांग दिवाकर के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल मास की निर्जला एकादशी का व्रत गृहस्थियों के लिए 6 जून 2025 शुक्रवार को और संन्यासियों और वैष्णव सम्प्रदाय के के लिए 7 जून 2025, शनिवार को श्रेष्ठ रहेगा। सभी एकादशियों में श्रेष्ठ महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का है। इसे निर्जला, पांडव और भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। निर्जला एकादशी को भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस एक दिन के व्रत से सम्पूर्ण वर्ष की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल मिलता है।
भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं ?
महाभारत की एक प्रचलित कथा के अनुसार भीम ने एकादशी व्रत के संबंध में वेदव्यास से कहा था मैं एक दिन तो क्या, एक समय भी खाने के बिना नहीं रह सकता हूं, इस कारण से मैं एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं कर संकूगा। तब वेदव्यास ने ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी के बारे में बताया। उन्होंने भीम से कहा कि तुम इस एकादशी का व्रत करो। इस एक व्रत से तुम्हें सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाएगा। भीम ने इस एकादशी पर व्रत किया था, इसी कारण से इसे भीमसेनी एकादशी कहते हैं।
निर्जला एकादशी क्यों कहते हैं और क्या करें ?
इस तिथि पर निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिए व्रत किया जाता है मनसा वाचा कर्मणा शुभ भावना रखें इसीलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। व्रत करने वाले भक्त पानी भी नहीं पीते हैं। सुबह-शाम भगवान विष्णु की पूजा करते हैं I अगले दिन द्वादशी तिथि पर पूजा-पाठ और ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद खुद भोजन ग्रहण करते हैं। इस व्रत में बहुत गर्मी के बीच पानी नहीं पीने के कारण कठिन व्रत माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु का मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” और “ॐ गोविंदाय नमः ” मंत्र का जाप करना बहुत शुभ होता है। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपड़े, फल और अन्न अर्पित करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत इस चीजों को किसी ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
इस एकादशी पर श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी उत्तम होता है। अगर निर्जला एकादशी का व्रत न भी कर पाएं तो इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें। गुप्त दान एक हाथ से किया दूसरे हाथ को भी पता न चले। इस दिन गाय सेवा ,जीव जन्तुओं और असहायों की सेवा , गरीबों और ब्राह्मणों को कपड़े, छाता, जूता, फल, मटका, पंखा, शर्बत, पानी, चीनी आदि का दान श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए। भगवान को श्रद्धा और भक्ति ही प्रिय लगती है I