गिरते जल स्तर एवं मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से खेती करना हो सकता है मुश्किल : डा. सी. बी. सिंह।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मिट्टी की स्थिति हो रही खराब।
कुरुक्षेत्र, 6 मई : वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह के अनुसार अगर कृषि को बचाना है तो किसानों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसानों को समझ लेना चाहिए कि गिरते जल स्तर एवं मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से खेती करना आने वाले समय में काफी मुश्किल हो सकता है।
डा. सिंह ने कहा कि आज सबसे पहले किसानों को धरती की हालत सुधारने की ओर ध्यान देना आवश्यक है। कृषि वैज्ञानिक समय समय पर भूमि की जांच करते हैं तो यह वर्तमान स्थिति सामने आ रही है। उन्होंने बताया कि खेती में मिट्टी एक अहम प्राकृतिक संसाधन है। कृषि इसी पर आधारित है लेकिन लगातार खादों के अधिक व असंतुलित प्रयोग से मिट्टी की स्थिति में गिरावट आ रही है।
डा. सिंह ने बताया कि मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक, मैंगनीज, कॉपर व लोहे की कमी भी सामने आ रही है। यूरिया का अत्यधिक प्रयोग जमीन के लाभदायक जीवाणुओं की जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है। खादों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण की संस्तुति के आधार पर करना चाहिए। इससे खादों के खर्च में 25 से 30 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है।
डा. सिंह ने कहा कि गोबर की खाद, कम्पोस्ट व हरी खाद का प्रयोग किसानों को करना चाहिए। जैव उर्वरक एजोटोबैक्टर, फॉस्फो बैक्टीरिया जो कि जीवाणुओं की कल्चर होती है, पोषक तत्वों की घुलनशीलता बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करती है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह।