दान देना हर कोई चाहता है लेकिन

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – उमेश गर्ग
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अग्रवाल परिवार मिलन संघ लुधियाना : जी हां, गरीब हो या अमीर, हर कोई चाहता है कि वह भी अधिक से अधिक किसी नेक कार्य/जगह के लिए दान करें। लेकिन उनके चाहने या नही चाहने से कुछ नही होता। दान भी उसी का स्वीकार होता है जिन्हें महालक्ष्मी जी खुद प्रेरणा देती है नही तो जिसका दान उन्हें स्वीकार नही उनके मन मे ऐसी ऐसी शंका खड़ी कर देती है कि वह व्यक्ति दान की घोषणा करने के बावजूद उनकी यह मंशा पूरी नही होती क्योंकि उनके द्वारा दिये जाने वाले दान खुद महालक्ष्मी जी को ही स्वीकार नही है। यह महालक्ष्मी जी की ही कोई लीला है जो एक नही अनेक साथियों का सहयोग श्री अग्रसेन धाम और अग्रवाल धर्मशाला में लेने के लिए अपने भक्तों की ड्यूटी लगा रही है। श्री अग्रसेन धाम में पिछले 3 साल में सैकड़ों साथियो ने अपनी श्रद्धा और समर्था के अनुसार सहयोग दिया। एक नही बहुत से साथी ऐसे भी है जिन्होंने सहयोग की घोषणा तो की लेकिन महारानी ने उनका दान लेना तो दूर उनको श्री अग्रसेन धाम पर आने की भी परमिषण नही दी। महारानी की यह कृपा जरूर रही कि आज तक जो भी कार्य उसका नाम लेकर शुरू किया उसमे कुछ लोगों ने रुकावटे तो पैदा करने की कोशिश की लेकिन मैं तो उसकी ही कोई लीला मानकर संतुष्ट हो जाता हूं। कि तू जगत जननी है सभी के कार्य होते है और खुद तेरे निमित हो रहा कार्य रोकने की हिम्मत किसी इंसान में तो हो नही सकती। इसीलिये वो कोई भी कार्य रुका नही और भविष्य में भी नही रुकेगा। श्री अग्रवाल धर्मशाला के लिए 400 गज के प्लाट को खरीदना कोई मुशिकल बात नही खासकर अग्रवालों के लिए, कोई एक अग्रवाल साथी ही इसकी पेमेंट कर सकता है लेकिन महारानी की ही मर्ज़ी है वह किसी एक की ड्यूटी लगाने की बजाए उस धर्मशाला रूपी हवन महायज्ञ में अधिक से अधिक साथियो को खुद प्रेरणा देकर ज्यादा से ज्यादा साथियों से सहयोग की आहुतियां डलवाना चाहती है। तू, जाने, तेरियां तू जाने, बस मुझे अपनी सेवा में लगाये रखना। जय हो ठाकुर जी महाराज, जय श्री राधे, जय श्री अग्रसेन जी महाराज।
सुनील जैन मित्तल, सेवादार, श्री अग्रसेन धाम, लुधियाना दूरभाष
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