जुलाई महीने में सब्जियों की फसलों के लिए रह सकता है अनुकूल मौसम

जुलाई महीने में सब्जियों की फसलों के लिए रह सकता है अनुकूल मौसम।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कृषि विशेषज्ञों की राय, जुलाई महीने में किसान सब्जियों से ले सकते हैं अच्छी आमदनी।

कुरुक्षेत्र, 1 जुलाई : जुलाई शुरू हो चुका है और मौसम भी बरसात के साथ अनुकूल बन रहा है। हालांकि बरसात एवं बार बार तापमान के बढ़ने से ऐसे मौसम में किसानों को सब्जियों के खराब होने का अंदेशा रहता है।
बरसाती सीजन की शुरुआत हो चुकी है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार किसान मौसम एवं तापमान को देखते हुए भी जुलाई महीने में सही कृषि परामर्श से सब्जियां लगाकर अच्छी आमदनी ले सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक डा. सी. बी. सिंह के अनुसार इस समय करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिंडी, टमाटर, चौलाई, मूली, बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की रोपाई का समय है।
उन्होंने बताया कि रोपाई के समय बैंगन में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फेट व 50 किलोग्राम पोटाश, मिर्च में 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 से 60 किलोग्राम फास्फेट व 40 से 50 किलोग्राम पोटाश तथा फूलगोभी में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फेट, 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
डा. सिंह ने बताया कि बैगन की रोपाई 75-90 गुणा 60 सें.मी., मिर्च, 45-75 गुणा 30-45 सें.मी. तथा अगेती फूलगोभी की रोपाई 40 गुणा 30 सें.मी. पर करना चाहिए। यदि खेत में पानी रुकने की संभावना हो तो अगेती फूलगोभी की रोपाई मेड़ पर करें। डा. सिंह ने बताया कि टमाटर की फसल के लिए बीज की बुवाई पौधशाला में करते हैं। इसके लिए मुक्त परागित किस्मों के लिए 350-400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी।
खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई 10 जुलाई तक कर दें। प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज दर 12-15 किलोग्राम होगी। उन्होंने बताया कि खरीफ की प्याज के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई 10 जुलाई तक करनी चाहिए। प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज दर 12 से 15 किलोग्राम होगी। कृषि वैज्ञानिक डा. सिंह के अनुसार कद्दूवर्गीय सब्जियों में बोआइ के लगभग 25 से 30 दिन बाद पौधों के बढ़वार के समय प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन की टाप ड्रेसिंग करें। लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, आरा तोरी, करेला व टिंडे की बुवाई अभी भी की जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले महीने में बोई गई लौकी वर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर सहारा दें। सभी सब्जियों में उचित जल निकास की व्यवस्था किसान करें। डा. सिंह ने कहा कि बरसात वाली भिंडी तथा अरबी की बुवाई पूरी कर लें। पहले बोई गयी भिंडी की फसल में बुवाई के 30 दिन बाद प्रति हेक्टेयर 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन (76 से 87 किलोग्राम यूरिया) की टाप ड्रेसिंग करें। उन्होंने बताया कि हल्दी में प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन (87 किलोग्राम यूरिया) बोआई के 35 से 40 दिन बाद कतारों के बीच में डालें। अदरक में बोआई के 40 दिन बाद प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन की 25 किलोग्राम मात्रा (54 किलोग्राम यूरिया) मिट्टी चढ़ाते समय दें।
फसल एवं जानकारी देते हुए कृषि वैज्ञानिक डा. सी.बी. सिंह।

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