Uncategorized

लोक कला भारतीय संस्कृति की आत्मा : डॉ. वीरेन्द्र पाल

पांच दिवसीय लोक कला कार्यशाला का शुभारंभ, परंपरागत संस्कृति से जुड़ने का मिला संदेश।

कुरुक्षेत्र,वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 9 अक्टूबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में भारत रत्न गुलजारीलाल नंदा नीति शास्त्र दर्शनशास्त्र केंद्र, संग्रहालय एवं पुस्तकालय, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग तथा स्वावलंबी भारत अभियान के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय लोक कला कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलसचिव लेफ्टिनेंट डॉ. वीरेंद्र पाल ने किया।
उद्घाटन सत्र में बोलते हुए डॉ. वीरेंद्र पाल ने कहा कि लोक कला भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो हमारे समाज, परंपराओं और जीवन मूल्यों का प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि लोक कला केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का माध्यम है। छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. ए. आर. चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि लोक कला हमें अपने अतीत से जोड़ती है और सामाजिक एकता का संदेश देती है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सौरव चौधरी ने कहा कि लोक कलाओं ने हमेशा समाज को एकजुट किया है और मानवता के मूल्यों को बनाए रखा है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अंकेश्वर प्रकाश ने कहा कि लोक कला के माध्यम से व्यक्ति अपनी सृजनशीलता और सोचने की क्षमता को नए आयाम दे सकता है। कार्यक्रम के आरंभ में भारत रत्न गुलजारीलाल नंदा सेंटर की निदेशक प्रो. शुचिस्मिता ने मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला विश्वविद्यालय में पारंपरिक लोक कलाओं के संवर्धन और संरक्षण के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है, ताकि नई पीढ़ी भारतीय संस्कृति के विविध रंगों को समझ सके। अंत में डॉ कुलदीप सिंह आर्य ने लोक कला कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए सभी कलाकारों का परिचय करवाया और अंत में सभी का धन्यवाद किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
plz call me jitendra patel