गीता महोत्सव 2025 साहित्य मंच पर गूंजे गीता-भजन

ब्रह्मसरोवर का तट हुआ दिव्य आलोक में स्नात।
कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 29 नवंबर : हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा आयोजित गीता महोत्सव 2025 के अंतर्गत पुस्तक मेले के साहित्य मंच पर आज का दिन भक्ति-रस और आध्यात्मिक माधुर्य से ओतप्रोत रहा। गीता के पावन श्लोकों और भजनों के साथ दिन की शुरुआत ऐसी हुई कि पूरा वातावरण एक अद्भुत शांति और दिव्यता से भर गया।
कार्यक्रम का केंद्र बिंदु रही साधु राम भजन मंडली की प्रस्तुति, जिसने अपने सुरों की साधना और अनुशासित लय से दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। मंडली के गायकों द्वारा गाए गए गीता-भजनों की मधुर ध्वनि जैसे ही वातावरण में गूंजी, ब्रह्मसरोवर का तट आध्यात्मिकता के उजास से स्नात दिखाई देने लगा। सुबह की सुनहरी किरणें जब जल पर प्रतिबिंबित हो रही थीं, तभी भजनों की धीमी-धीमी तरंगें पानी की लहरों के साथ दूर तक बहती महसूस हो रही थी, मानो प्रकृति स्वयं इस दिव्य संगीतमय साधना में सहभागी बन गई हो। वाद्य यंत्रों की कोमल संगत और गीता श्लोक की दार्शनिक गूंज ने पवित्र ब्रह्म सरोवर के परिवेश को और भी भक्तिमय में बना दिया।
दर्शकों के लिए यह केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति बन गई। कई लोग आंखें बंद कर मंत्र ध्वनि में डूबे रहे, तो कई के चेहरे पर ऐसी आत्मिक शांति झलक रही थी, मानो मन किसी अदृश्य स्पर्श से पावन हो उठा हो। पुस्तक मेले में आए साहित्य-प्रेमियों ने बताया कि गीता-भजनों की यह सुधार मेले को केवल ज्ञान का स्थल नहीं, बल्कि भक्ति और अध्यात्म की यात्रा बना रही है। दुकानों के बीच से होकर बहती इस भक्ति-लय ने सामूहिक चेतना को एक नई ताजगी से भर दिया।
गीता पुस्तक मेले के नोडल अधिकारी डॉक्टर चितरंजन दयाल सिंह कौशल ने बताया कि गीता की शिक्षाएं केवल पठन सामग्री नहीं, बल्कि जीवन को प्रकाशमान करने वाली दिव्य ज्योति हैं और साहित्य मंच पर गूंजते भजन इसी प्रकाश को जन-मन तक पहुंचाने का माध्यम बने हुए हैं। आने वाले दिनों में इसी भावभूमि को और विस्तार देने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गीता भजन कार्यक्रम का संयोजन कृष्ण कुमार संयोजक साहित्य मंच द्वारा किया गया।




