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कुरुक्षेत्र धाम के चप्पे-चप्पे पर विराजमान है ऐतिहासिक, पौराणिक तीर्थ : ज्ञानानंद

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कुरुक्षेत्र की अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का किया शुभारंभ, संतों के सानिध्य में कुरुक्षेत्र व आस-पास के जिलों के 200 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने की अष्टकोसी यात्रा।
केडीबी, सरस्वती बोर्ड व संस्थाओं के प्रयासों से फिर शुरू हुई तीर्थ यात्रा, पवित्र ग्रंथ गीता के 11वें अध्याय में उल्लेख है यात्रा का।

कुरुक्षेत्र 28 मार्च : गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्व प्रसिद्घ धर्मक्षेत्र है। इस कुरुक्षेत्र धाम के चप्पे-चप्पे पर ऐतिहासिक, पौराणिक तीर्थ विराजमान है। इस पावन धरा के कण-कण में पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश सम्माहित है। इसलिए कुरुक्षेत्र तीर्थों की अष्टकोसी यात्रा एक पवित्र और ऐतिहासिक यात्रा मानी जाती है। इस अष्टकोसी तीर्थ यात्रा का वर्णन पवित्र ग्रंथ गीता के 11वें अध्याय मेंं भी किया गया है।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज शुक्रवार को गांव बाहरी के नाभिकमल मंदिर में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इससे पहले नाभिकमल मंदिर में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, परमहंस ज्ञानेश्वर महाराज, महंत राम अवतार, महंत विशालदास सहित अन्य संतजनों ने अष्टकोसी तीर्थ यात्रा के शुभारंभ अवसर पर पूजा अर्चना की और विधिवत रूप से कुरुक्षेत्र की अष्टकोसी यात्रा का शुभारंभ किया। इस यात्रा में इस्कॉन व जीयो गीता की तरफ से भक्तजनों ने भजन कीर्तन किए और भजन कीर्तन कर पूरी यात्रा को भक्तिरस में भर दिया।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से कुरुक्षेत्र की पौराणिक अष्टकोसी यात्रा को शुरू करवाकर देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और तीर्थ यात्रियों को एक अनोखी सौगात देने का काम किया है। इस अष्टïकोसी यात्रा को बेहद पवित्र यात्रा माना जाता है और यह यात्रा कुरुक्षेत्र की पावन धरा से बहने वाली पवित्र सरस्वती नदी के किनारे से होकर गुजरती है। इस नदी के किनारे ही पुराणों, वेदों की रचना की गई और पूरे विश्व को ज्ञान, शिक्षा और संस्कार दिए गए। इस यात्रा को ज्ञान,शिक्षा और संस्कारों से जोडक़र देखा जा रहा है। इस यात्रा से लोगों और श्रद्घालुओं को पुण्य की प्राप्ति होगी।
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि पवित्र सरस्वती नदी के किनारे सदियों से अष्टकोसी यात्रा की जाती थी। लेकिन समय के चलते यह यात्रा बंद हो गई, अब बोर्ड और केडीबी के प्रयासों से यात्रा फिर से शुरू की गई है। इस यात्रा के दौरान ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थ स्थलों के दर्शन होते है। इस यात्रा में कुरुक्षेत्र ही नहीं हरियाणा और देश विदेश के लोगों को जरूर शिरकत करनी चाहिए। इस यात्रा के लिए बोर्ड की तरफ से हर संभव मदद और सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी।
केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने कहा कि चैत्र चौदस के दौरान अष्टकोसी यात्रा की जाती रही है। इस यात्रा को हर माह किया जाना चाहिए और उनका मानना है कि निरंतर इस यात्रा को जारी रखा जाएगा। यह यात्रा नाभिकमल तीर्थ से शुरू हुई और औजस घाट कार्तिक मंदिर,, स्थाण्वीश्वर महादेव, कुबेर तीर्थ, क्षीर सागर तीर्थ, दधीचि कुंड, खेड़ी मारकंडा, वृद्धा कन्या, रत्नुक यक्ष-बीड़ पिपली, पावन तीर्थ-सुंदरपुर, ओघटिया घाट पलवल, बाण गंगा दयालपुर, आपगा तीर्थ दयालपुर, भीष्म कुंड नरकतारी, से होकर नाभिकमल तीर्थ पर सम्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि परिक्रमा मार्ग के तीर्थों पर अल्पाहर, प्रसाद, प्राथमिक चिकित्सा एवं विश्राम की सुविधा भी उपलब्ध रही। इस यात्रा में अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर सहित 200 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा पूरी की है।
निदेशक डा. प्रीतम सिंह ने कहा कि बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, एक पूरा मार्ग तैयार किया गया है, जिससे भक्तों को विभिन्न तीर्थों (तीर्थ स्थलों) के इतिहास और महत्व का पता लगाने में मदद मिलेगी। कुरुक्षेत्र शहर में लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली 8 कोस यात्रा, 48 कोसी यात्रा की पूर्वपीठिका होगी, जो अंतत: कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, पानीपत और जींद जिलों के तीर्थ स्थलों तक विस्तारित होगी। इस मौके पर मुख्यमंत्री के कार्यालय प्रभारी कैलाश सैनी, केडीबी के सीईओ पंकज सेतिया, भाजपा के जिला अध्यक्ष तजेन्द्र सिंह गोल्डी, एसई अरविंद कौशिक, केडीबी सदस्य अशोक रोसा, डा. ऋषिपाल मथाना, डा. एमके मोदगिल, राजेश कुमार, विजय नरूला आदि उपस्थित थे।

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