जग ज्योति दरबार में अग्नि तपस्या राष्ट्रहित और जन कल्याण के लिए की जाती है : महंत राजेंद्र पुरी

जग ज्योति दरबार में अग्नि तपस्या राष्ट्रहित और जन कल्याण के लिए की जाती है : महंत राजेंद्र पुरी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

जग ज्योति दरबार में प्रारंभ हुई गर्मी के मौसम में पंच धूणी अग्नि तपस्या।
19 वर्षों से भीषण गर्मी में आग के ढेरों के बीच अग्नि तपस्या करते हैं महंत राजेंद्र पुरी।

कुरुक्षेत्र, 27 अप्रैल : भीषण गर्मी में आम आदमी का धूप में भी हाल बेहाल हो जाता है लेकिन पिछले करीब 19 सालों से आग के ढेरों के बीच बैठकर जग ज्योति दरबार के महंत 41 दिन की कड़ी तपस्या करते हैं। इस बार भी वीरवार को गंगा सप्तमी के अवसर पर जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ भारी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पंच धूणी अग्नि तपस्या प्रारंभ की।
पंच धूणी अग्नि तपस्या के प्रारंभ से पूर्व महंत राजेंद्र पुरी ने दरबार में आए श्रद्धालुओं से कहा कि यह शक्ति उन्हें श्रद्धालुओं की आस्था एवं प्रेम से ही मिलती है। गुरु परम्परा के अनुसार वर्षों से यह कड़ा तप कर रहे हैं। महंत राजेंद्र पुरी से भीषण गर्मी के बीच आग में बैठने के साहस बारे पुछा तो उन्होंने बताया कि यह तपस्या केवल वे जनकल्याण के लिए करते हैं। वह 44-45 डिग्री तापमान में भी जनकल्याण के लिए हर वर्ष अग्नि तपस्या करते हैं। उन्होंने बताया कि इस तपस्या के लिए प्रभु कृपा होती है और हमारा कर्म होता है।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि जग ज्योति दरबार हमेशा जन कल्याण के कार्य, धर्म की रक्षा और सनातन की जानकारी के लिए हमेशा पहचाना गया है। दरबार में लगातार 19 वर्षो से चल रही अग्नि तपस्या सिर्फ राष्ट्रहित और जन कल्याण के लिए की जाती है। उन्होंने आगे बताया कि वीरवार से आरंभ हुई पंच धूणी तपस्या में जैसे-जैसे हर दिन सूर्य देवता और गर्मी का प्रकोप बढ़ता है, अग्नि तपस्या की धूणी में उपले बढ़ते जाते हैं।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि इस मानव जीवन में कोई भी व्यक्ति किसी धर्म या किसी गुरु को मानने वाला हो। इंसान का जन्म हिंदू, मुस्लिम, सिख या किसी भी धर्म में हुआ हो। हर इंसान को अपने धर्म की जानकारी होनी चाहिए तथा आस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इंसान किसी भी धर्म को माने लेकिन उसकी रक्षा के लिए व अपने धर्म प्रचार के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। किसी भी दूसरे धर्म की निंदा न करो। परंतु अपने धर्म, अपने इष्ट, अपनी संस्कृति व संस्कारों के प्रति वफादार होना ही धर्म है।
41 दिन बाद अग्नि तपस्या के समापन पर दरबार में एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जायेगा। इस दौरान धर्म प्रचार और सनातन धर्म के लिए कार्य चलते रहेंगे। अग्नि तपस्या समापन पर प्रदेश भर से जग ज्योति दरबार परिवार से जुड़े लोग एवं श्रद्धालु महंत राजेंद्र पुरी से दीक्षा और आशीर्वाद लेने पहुंचेंगे।
आग के ढेरों के बीच तप करते हुए महंत राजेन्द्र पुरी तथा मौजूद श्रद्धालु।

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