सावन में पृथ्वी का वातावरण शिव शक्ति और शिव भक्ति से ओत प्रोत होता है : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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सावन महीने में भगवान शिव और माता पार्वती भू लोक पर वास करते हैं : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।
कुरुक्षेत्र, 21 जुलाई : ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ के श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य एवं प्रेरणा से विद्वान ब्राह्मणों, ब्रह्मचारियों एवं शिव भक्तों द्वारा सावन महीने का पूजन तथा रुद्राभिषेक निरंतर किया जा रहा है। विद्यापीठ में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने सावन महीने की पूजा का महत्व बताया कि यह सावन महीना बहुत ही पवित्र एवं भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा बड़े प्रेम भाव से की जाती है और ऋग्वेद में भगवान शिव की पूजा अर्चना का वर्णन किया गया है। ब्रह्मचारी ने बताया कि ऐसा माना गया है की सावन के महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और पृथ्वी का वातावरण शिव शक्ति और शिव भक्ति से ओत प्रोत होता है। सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ की भक्ति करने से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और हमारे दुखों का निवारण करते हैं। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन करने पर सबसे पहले विष प्रकट हुआ तथा विष प्रकट होते ही पृथ्वी पर भूचाल आ गया। वातावरण दूषित होने लगा और पशु पक्षी मरने लगे, यह विष इतना ज्यादा प्रभावशाली था कि यह पृथ्वी पर जीवन समाप्त करने लगा। ऐसा देखकर भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में ग्रहण कर लिया।
तभी से भगवान शिव को नीलकंठ बोला जाने लगा। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि जब भगवान शिव ने यह विष अपने कंठ में ग्रहण किया तब उनके शरीर में बहुत ज्यादा गर्मी पैदा हो गई और उनका शरीर लाल पड़ने लगा। ऐसा देखकर देवताओं ने भगवान शिव पर जल की वर्षा कर दी और कुछ देवताओं ने भगवान शिव को शांत करने के लिए जल चढ़ाया। जिससे भगवान शिव बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए। तब से ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। ब्रह्मचारी ने बताया कि शिव पुराण में बताया गया है कि भगवान शिव स्वयं ही जल का रूप हैं। इसलिए भगवान शिव को जल से अभिषेक करना बहुत ही अच्छा और फलदाई माना जाता है और इस संदर्भ में कोई भी संशय नहीं। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती भू लोक पर निवास करते हैं और यदि विधि-विधान से उनका पूजन किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन को हरिहर का रूप माना जाता है। इसमें हरि और हर यानी भगवान विष्णु एवं शिव जी की पूजा करते हैं।
श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी।