भारतीय योग संस्थान ने साधकों को करवाई शंख प्रक्षालन क्रिया

भारतीय योग संस्थान ने साधकों को करवाई शंख प्रक्षालन क्रिया
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – उमेश गर्ग।
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योगाश्रम में शंख प्रक्षालन में 121 साधक रहे उपस्थित।
शंख प्रक्षालन से पेट के रोग, फेफड़े, वात- पित्त-कफ के रोग, गर्मी से होने वाले रोग, सर्दी- जुकाम, नेत्र संबंधी विकार व सिर दर्द इत्यादि ठीक होते हैं : गुलशन ग्रोवर।
कुरुक्षेत्र, 28 अक्टूबर : भारतीय योग संस्थान, कुरुक्षेत्र जिला इकाई द्वारा साधकों को शंख प्रक्षालन क्रिया करवाई गई। संस्थान के योगाश्रम मिर्जापुर में आयोजित कार्यक्रम में 121 से अधिक साधक उपस्थित रहे। ओम प्रकाश बाजवा व मनजीत कौर ने सुंदर भजन प्रस्तुत किये। मुख्य अतिथि जगतगुरु ब्रह्मानंद आश्रम की साध्वी डॉ. मैत्रेयी आनंद, संस्थान के प्रांतीय संगठन मंत्री एवं प्रेस प्रवक्ता गुलशन कुमार ग्रोवर, प्रांतीय कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार, स्थानीय संरक्षक हरिराम जोशी, जिला प्रधान देवी दयाल सैनी, सीमा सांगवान, नरेश शर्मा, हवा सिंह सैन, जिला उप प्रधान सेवा सिंह सहित सभी उपस्थित जोन प्रधानों ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गुलशन कुमार ग्रोवर, हरिराम जोशी एवं कृष्ण जिला जोन प्रधान मिथिलेश चौधरी द्वारा शंख प्रक्षालन क्रिया के निषेध, सावधानियां, लाभ व विधि बताकर यह क्रिया करवाई गई। हरिराम जोशी ने शंख प्रक्षालन के पश्चात सभी को 30 मिनट का शवासन करवाया। अंत में प्रांतीय कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार अरोड़ा, वरिष्ठ कार्यकर्ता गणपत राम माटा व जिला प्रधान देवी दयाल सैनी द्वारा बनाई गई देसी घी से तर स्वादिष्ट खिचड़ी सभी को खिलाई गई। चौधरी मांगेराम, भीमराज सैनी, जसवंत सिंह, सत्येंद्र तोमर, धर्मवीर शर्मा, सुनील कुमार, महेश तलवार, प्रवीण गर्ग, नाहर सिंह, डॉ. राजबीर इत्यादि सहित सभी जिलों के कई कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन में सहयोग दिया । पानीपत पूर्वी जिला से प्रधान हवा सिंह व मंत्री दीपक सचदेवा के नेतृत्व में दस तथा लाडवा व पेहवा से आठ-आठ साधकों सहित 121 से अधिक साधक उपस्थित थे । क्रिया से संबंधित अन्य सभी आवश्यक निर्देश मौके पर साधकों को बताये गये।
शंख प्रक्षालन है क्या ? इसे क्यों करें ? इसके लिए क्या क्या सावधानियां आवश्यक हैं ?
संस्थान के प्रांतीय संगठन मंत्री गुलशन कुमार ग्रोवर ने बताया कि यहां शंख का अर्थ है पेट या आंतें और प्रक्षालन का अर्थ है धोना। इस क्रिया से अंत:वाहिनी नली कंठ से गुदा तक शुद्ध हो जाती है। शंख प्रक्षालन क्रिया वर्ष में केवल दो बार बदलते मौसम में ही की जा सकती है। यह एक ऐसी यौगिक शुद्धि क्रिया है, जिसमें पानी पीकर कुछ सरल से योगासनों के 5 – 5 सैट किए जाते हैं, पांच बार इस क्रम को दोहराकर मल निष्कासन के लिए शौचालय जाया जाता है । यही क्रिया पांच-छः बार की जाती है। पहली बार शौच जाने पर सामान्य मल निकलता है, दूसरी-तीसरी बार कुछ पतला और अंत में स्वच्छ पानी जैसा मल निकलता है तो क्रिया संपन्न हो जाती है ।
लाभ : इस क्रिया से पेट के रोग, फेफड़े, वात-पित्त-कफ के रोग, गर्मी से होने वाले रोग, सर्दी-जुकाम, नेत्र संबंधी विकार व सिर दर्द इत्यादि रोग भी ठीक होते हैं ।
निषेध : आंतों की कमजोरी, आंतों में सूजन, गंभीर हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप के रोगी व अल्सर के रोगी को शंख प्रक्षालन क्रिया नहीं करनी चाहिए ।
दीप प्रज्ज्वलन करते मुख्य अतिथि एवं अधिकारी गण।
योगाश्रम मिर्जापुर में शंख प्रक्षालन क्रिया के लिए योगासन करते भारतीय योग संस्थान के कार्यकर्ता।



