अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन भारतीय दर्शन, संस्कृति और वैश्विक शांति संदेश को साझा करने का अवसर : प्रो. सोमनाथ सचदेवा

कुलपति ने किया अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के ब्रोशर का विमोचन
केयू के 15 विभागों द्वारा आयोजित किए जाएंगे 13 तकनीकी सत्र
केयू में अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन-2025 की तैयारियों को लेकर हुई महत्वपूर्ण बैठक।
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 03 नवम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सोमवार को फैकल्टी लॉज में 24 से 26 नवम्बर 2025 तक श्रीमद भगवदगीतोक्त स्वधर्मः कर्तव्यनिष्ठा, शान्ति और सद्भावना की प्रेरणा विषय पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाले 10वें अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन-2025 की तैयारियों को लेकर विभिन्न समितियों की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने तीन दिवसीय सम्मेलन के ब्रोशर का विमोचन भी किया। बैठक में सम्मेलन के आयोजन हेतु गठित सभी समितियों के संयोजकों व सदस्यों ने भाग लिया। सम्मेलन 24 से 26 नवंबर 2025 तक विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया जाएगा। बैठक में कार्यक्रम से संबंधित सभी व्यवस्थाओं, कार्य-योजनाओं तथा विभागीय उत्तरदायित्वों पर विस्तार से चर्चा की गई।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि यह सम्मेलन गीता के वैश्विक संदेश को विश्व समुदाय तक पहुँचाने का एक सार्थक प्रयास है और सभी समितियाँ समन्वय एवं समयबद्ध कार्य योजना के साथ कार्य करें। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन न केवल शैक्षिक विमर्श का महत्वपूर्ण मंच है, बल्कि भारतीय दर्शन, संस्कृति और वैश्विक शांति संदेश को साझा करने का अवसर भी है।
कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने बताया कि इस बार विदेश मंत्रालय विशेष रूप से इस आयोजन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय सम्मेलन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के 15 विभागों द्वारा 13 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के अंतर्गत आयोजित तकनीकी सत्रों की रिकॉर्डिंग की जाएगी। साथ ही, विशिष्ट वक्ताओं के विशेष वीडियो कैप्सूल और सोशल मीडिया रील्स भी तैयार किए जाएंगे, ताकि गीता संदेश को अधिक व्यापक और आधुनिक माध्यमों के द्वारा प्रसारित किया जा सके। सम्मेलन के दौरान यूआईईटी के विद्यार्थियों द्वारा गीता पर आधारित प्रदर्शनी और शोधार्थियों एवं छात्रों द्वारा पोस्टर प्रस्तुतियाँ भी लगाई जाएंगी, जिससे युवाओं में गीता दर्शन, वैज्ञानिक चिंतन और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही विद्यार्थियों के लिए कुछ स्थानों पर सेल्फी प्वाइंट भी लगाएं जाएंगे।
बैठक में आतिथ्य, पंजीकरण, मंच व्यवस्था, आवास, परिवहन, सजावट, प्रकाश एवं ध्वनि, सुरक्षा, स्वागत, मीडिया, प्रकाशन एवं स्मारिका निर्माण आदि व्यवस्थाओं पर विस्तृत निर्देश दिए गए। सभी समितियों को अपने-अपने कार्यों को समय पर पूर्ण करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देश भी प्रदान किए गए। बैठक में सम्मेलन निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा व प्रो. मंजूला चौधरी ने भी अपने विचार सांझा किए।
इस अवसर पर कुलसचिव लेफ्टिेनेंट डॉ. वीरेन्द्र पॉल, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. राकेश कुमार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. एआर चौधरी, सम्मेलन निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. मोहिन्द्र चांद, प्रो. प्रीति जैन, प्रो. कृष्णा देवी, डीवाएसीए निदेशक प्रो. विवेक चावला, प्रो. वनिता ढींगरा, प्रो. मंजूला चौधरी, प्रो. रीटा, प्रो. कुलदीप सिंह, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. सुरजीत, डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. आनंद कुमार, डॉ. कुशविंदर कौर, डॉ. रामचन्द्र, डॉ. रूचि गुप्ता, डॉ. सुशील कुमार, डीवाएसीए की उप-निदेशक डॉ. सलोनी पी दिवान सहित विभिन्न समितियों के संयोजक व सदस्य मौजूद थे।
गीता सम्मेलन के तहत 15 विभागों द्वारा 13 तकनीकी सत्रों का होगा आयोजन।
सम्मेलन के निदेशक प्रो. तेजेन्द्र शर्मा ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय गीता सम्मेलन के अंतर्गत 15 विभागों द्वारा विविध विषयों पर केंद्रित 13 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इन सत्रों में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभाग एवं संस्थान श्रीमद्भगवद्गीता के विविध पहलुओं पर अपने शोध व विचार प्रस्तुत करेंगे।
प्रो. तेजेन्द्र शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के अनुसार तकनीकी सत्र-1 का आयोजन संस्कृत, पाली एवं प्राकृत विभाग द्वारा किया जाएगा, जिसका विषय “स्वधर्म इन श्रीमद्भगवद्गीताः जीवन के अर्थपूर्ण आधार की नींव – व्यक्ति से समष्टि तक है। तकनीकी सत्र-2 प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग एवं गीता अध्ययन केंद्र द्वारा “महाभारत के काल निर्धारण” विषय पर केंद्रित होगा। तकनीकी सत्र-3 यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मैनेजमेंट तथा प्रबंधन अध्ययन संस्थान द्वारा “प्रबंधन में उत्कृष्टता हेतु गीता का अपरिवर्तनीय रूपांतरणकारी ज्ञान” विषय पर आयोजित किया जाएगा। तकनीकी सत्र-4 पर्यटन एवं होटल प्रबंधन विभाग द्वारा “कर्तव्य, शांति एवं सद्भावना के लिए प्रेरणा – श्रीमद्भगवद्गीता से” विषय पर होगा। तकनीकी सत्र-5 गृह विज्ञान विभाग द्वारा “स्वधर्म, निष्काम कर्म एवं पोषण सेवा के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य” पर विचार-विमर्श होगा। तकनीकी सत्र-6 सामाजिक कार्य विभाग में “कर्तव्य और शांति के लिए मार्गदर्शक दर्शन के रूप में गीता” विषय पर चर्चा होगी।
लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने बताया कि तकनीकी सत्र-7 कानून विभाग द्वारा “मौलिक कर्तव्यों पर गीता के सिद्धांत” विषय पर विचार प्रस्तुत किए जाएंगे। तकनीकी सत्र-8 शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में “चरित्र निर्माण हेतु स्वधर्म और शिक्षा” पर केंद्रित चर्चा होगी। तकनीकी सत्र-9 डा. भीमराव अंबेडकर अध्ययन केंद्र द्वारा “स्वधर्म की समझः धार्मिक आचरण की आंतरिक दिशा” पर आयोजित होगा। आईआईएचएस संस्थान द्वारा आयोजित तकनीकी सत्र-10 में “गीता के स्वधर्म के दृष्टिकोण से विकसित भारत हेतु अवधारणा एवं समाधान” विषय पर चर्चा होगी। यूआईईटी संस्थान द्वारा आयोजित तकनीकी सत्र-11 में “एथिक्स, एआई, तकनीक और मानव एजेंसी गीता के प्रकाश में” विषय पर विमर्श होगा। ललित कला विभाग द्वारा आयोजित तकनीकी सत्र-12 में “आंतरिक शांति और सार्वभौमिक सद्भावना की दिशा में कला की भूमिका” विषय पर विचार साझा किए जाएंगे तथा पंजाबी विभाग द्वारा आयोजित तकनीकी सत्र-13 में “विश्व शांति और सामंजस्य की दृष्टि से श्रीमद्भगवद्गीता का दर्शन” विषय पर चर्चा होगी। प्रत्येक सत्र में विद्वान, शोधार्थी और विद्यार्थी भाग लेंगे तथा श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में समझने और प्रसारित करने का प्रयास करेंगे।




