प्लास्टिक रीसायकल करने के नए तरीके खोजना है आवश्यक : अखिल नाथ

प्लास्टिक रीसायकल करने के नए तरीके खोजना है आवश्यक : अखिल नाथ।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

दिल्ली : प्लास्टिक रीसायकल यानि पुनर्चक्रण आज हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए अहम् माना जाता है। किन्तु प्लास्टिक को असल में पुनर्चक्रित करना इतना भी आसान नहीं जितना समझा जाता है। आर्गेनाईजेशन फॉर इकनोमिक कोपरशन एंड डेवलपमेंट द्वारा प्रकाशित आंकड़े दर्शाते हैं की आज विश्व भर में पछले 2 दशकों में प्लास्टिक का उत्पाद दुगना हुआ है, जिसका केवल 9% ही पुनर्चक्रति किया जाता है (15% को पुनर्चक्रण हेतु एकत्रित किया जाता है जिसका 40% अवशेष के रूप में निपटा दिया जाता है)।
किन्तु क्या है परेशानी? हर प्लास्टिक एक सा नहीं होता। प्लास्टिक को उसकी बनावट के आधार पर मूलतः 2 तरह के प्लास्टिक में बांटा जा सकता है, पहला थर्मोसेट (जिसे पुनः पिंघला कर नया पॉलीमर/मटेरियल नहीं बनाया जा सकता) दूसरा थर्माप्लास्टिक (जिसे पुनःचक्रित किया जा सकता है)। और साथ ही पुनर्चक्रण के आधार पर भी 7 श्रेणियाँ होती हैं जिसमे केवल पहली श्रेणी यानी पीइटी प्लास्टिक (मिनरल वाटर बोतल आदि) को ही 100% पुनर्चक्रित किया जा सकता है।
पुनर्चक्रण का इतना जटिल होना और महंगा होना ही कारण है की आज केवल 20 प्रतिशत प्लास्टिक अपशिष्ट को पुनचक्रण हेतु एकत्रित किया जाता है, और बाकी अपशिष्ट को यूँ ही लैंडफिल में फेंक दिया जाता है, दबा दिया जाता है या जला दिया जाता है। जिससे उत्पन्न ज़हरीली हवा हमारे शरीर पर सीधा असर डालती हैं।
हालांकि सेंट्रल पॉलुशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2019-20 में करीब 3 लाख 60 हज़ार मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ जिसका करीब 50% पुनर्चक्रित किया गया।
लिहाज़ा हमें एक बार इस्तेमाल लायक प्लास्टिक को काम-से- काम इस्तेमाल करना आवश्यक है (जिससे बने कई उत्पादों पर सरकार द्वारा 30 सितम्बर 2021 से प्रतिबन्ध लगा दिया है), साथ ही हमें प्लास्टिक को पुनर्चक्रण हेतु साफ़ और अन्य कचरे से अलग कर ही फेकना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्लास्टिक को रीसायकल यानी पुनर्चक्रित करने के आसान और किफायती तरीके खोजने की भी आवश्यकता है। मेरी जानकारी के अनुसार पीने के पानी की बोतलें घर और घर के बाहर कचरे में फेंकी जाती हैं। यह न केवल प्लास्टिक का दुरुपयोग है, बल्कि पर्यावरण के साथ खिलवाड़ भी है।
हर घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान में दो टोकरियाँ होनी चाहिए। एक कचरे के लिए और दूसरा प्लास्टिक और रद्दी कागज के लिए।
कई देशों में देखा जाता है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा सप्ताह में केवल प्लास्टिक और रद्दी कागज इकट्ठा किया जाता है। इसका उपयोग रिसाइकिलिंग के लिए किया जाता है।
अखिल नाथ,राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष उन्नत भारत संगठन ट्रस्ट (रोहिणी नई दिल्ली)
ईमेल:akhil.n2017@gmail.com

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