जीवन में किसी भी स्थिति में विनम्रता का होना अत्यंत महत्वपूर्ण : महंत राजेंद्र पुरी

जीवन में किसी भी स्थिति में विनम्रता का होना अत्यंत महत्वपूर्ण : महंत राजेंद्र पुरी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या के बीच महंत राजेंद्र पूरी सत्संग और राम कथा कर रहे हैं।

कुरुक्षेत्र, 20 मई : भीषण गर्मी के मौसम में धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या के बीच लगातार महंत राजेंद्र पूरी सत्संग और राम कथा भी कर रहे हैं।
सत्संग में महंत राजेंद्र पुरी ने जीवन में विनम्रता का महत्व बताते हुए कहा कि मनुष्य जीवन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से गुजरता है। उन्होंने कथा में एक प्रसंग की चर्चा करते हुए बताया कि जिस सुबह मेघनाथ से लक्ष्मण का अंतिम युद्ध होने वाला था। तब तक मेघनाथ अविजित था। जिसकी भुजाओं के बल पर रावण युद्ध कर रहा था। जिसके पास सभी दिव्यास्त्र थे। उनके साथ श्री लक्ष्मण जीत का अंतिम युद्ध होना था।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि सुबह भगवान राम पूजा कर रहे थे उस समय लक्ष्मण भगवान श्री राम से आशीर्वाद लेने गए। पूजा समाप्ति के पश्चात प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण को एक पात्र दिया और कहा भिक्षा मांग कर लाओ, जो पहला व्यक्ति मिले उसी से कुछ अन्न मांग लेना। लक्ष्मण जब भिक्षा मांगने के लिए निकले तो उन्हें सबसे पहले रावण का सैनिक मिल गया। आज्ञा अनुसार लक्ष्मण ने विनम्र भाव से भिक्षा लेते हैं और श्री राम को अर्पित करते हैं। तत्पश्चात भगवान राम ने उन्हें विजय होने का आशीर्वाद दिया।
महंत राजेंद्र पुरी ने समझाया कि मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र, पशुपात्र, सुदर्शन चक्र सभी का उपयोग किया। इन अस्त्रों की कोई काट न थी। लक्ष्मण सिर झुकाकर इन अस्त्रों को प्रणाम किया। सभी अस्त्र उनको आशीर्वाद देकर वापस चले गए। उसके बाद श्री राम का ध्यान करके लक्ष्मण ने मेघनाथ पर बाण चलाया। वह हंसने लगा और उसका सिर कट कर जमीन पर गिर गया। उसकी मृत्यु हो गई।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि भगवान श्री राम मुस्कराने लगे और बोले मैं लक्ष्मण को जानता हूँ …. वह अत्यंत क्रोधी है। लेकिन युद्ध में बहुत ही विन्रमता कि आवश्यकता पड़ती है। भगवान जानते थे कि मेघनाथ ब्रह्मांड की चिंता नहीं करेगा। वह युद्ध जीतने के लिए दिव्यास्त्रों का प्रयोग करेगा। इन अमोघ शक्तियों के सामने विनम्रता ही काम कर सकती थी। इसलिए मैंने लक्ष्मण को सुबह विनम्रता और झुकना सिखाया।
महंत राजेंद्र पुरी ने श्रद्धालुओं से विनती करते हुए कहा कि जीवन में किसी भी हालत में किसी भी स्थिति में विनम्रता रखनी है विनम्रता ही शक्ति संचय का भी मार्ग है। इसलिए किसी भी बड़े राजनीतिक या धर्म युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए विनम्रता औऱ धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है।
महंत राजेंद्र पुरी अग्नि तपस्या करते हुए।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आज़मगढ़: कोल ककरहटा जर्जर लकड़ी के पुल चह से नदी में गिर दो मजदूर हालत गंभीर जिला अस्पताल में चल रहा है इलाज

Sat May 20 , 2023
कोल ककरहटा जर्जर लकड़ी के पुल चह से नदी में गिर दो मजदूर हालत गंभीर जिला अस्पताल में चल रहा है इलाज आजमगढ़ सदर तहसील क्षेत्र के कोल ककरहटा पुल को काफी समय से ग्रामीणों द्वारा मांग किया जा रहा है कोल ककरहटा पर पुल पास भी हो गया है […]

You May Like

Breaking News

advertisement