जालौन: कोंच:कथा व्यथा दूर करती है और जीवन जीने की दृष्टि देती है: दीदी मां ऋतंभरा

कोंच:कथा व्यथा दूर करती है और जीवन जीने की दृष्टि देती है: दीदी मां ऋतंभरा

रिपोर्टर :- अविनाश शाण्डिल्य के साथ बिबेक द्ववेदी Vv न्यूज चैनल कोंच जालौन

हिंदू सनातनी के केंद्र में होने के नाते भारत मूलतः हिंदू राष्ट्र ही है

कोंच यहां समीपस्थ ग्राम चांदनी धाम में आयोजित 11कुण्डीय श्री विष्णु महायज्ञ में श्रीमद्भागवत कथा कहने आईं अंतरराष्ट्रीय संत और प्रखर वक्ता साध्वी ऋतंभरा ने कहा है कि हिंदू सनातनी का केंद्र बिंदु होने के नाते भारत देश मूलतः हिंदू राष्ट्र ही है। आज विश्व में जिस प्रकार की संस्कृति पनप रही है कि अगर मेरी न सुनी गई तो हम किसी को चैन से रहने नहीं देंगे, ऐसे में सिर्फ सनातन संस्कृति ही है जो वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा के साथ सबको परस्पर मिलजुल कर रहना सिखाती है। यह बात उन्होंने विधायक मूलचंद्र निरंजन के आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए बाबा बागेश्वर के भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के वक्तव्य के परिप्रेक्ष्य में कही।
भारत की भूमि, नदियों और पहाड़ों को सनातनी ऋषि मुनियों ने गंगा, यमुना, काबेरी, हिमालय आदि नाम दिए हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि सनातनी लोगों से निश्चित रूप से ये चूक हुई है कि उन्होंने अपनी संतानों को अपनी सनातन संस्कृति से परिचित नहीं कराया है। सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी राजनैतिक विस्तारवाद की विचारधाराएं कि हमें न माना गया तो आपको जीने का अधिकार नहीं है, ऐसी संकीर्ण सोच अगर पूरे संसार को भयभीत कर रही है तो ऐसे में केवल सनातन ही है जो संसार के न केवल व्यक्तियों बल्कि पशु पक्षियों को निर्भय करेगी। जो शिक्षा व्यवस्था चलन में है उसने रोजी रोटी कमाने का रास्ता दिखाया और जिंदा रहने की कला तो सिखाई लेकिन जीवन का मर्म नहीं सिखाया जिससे हमारी युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित हो रही है। हालांकि भौतिकवाद का विरोध नहीं है लेकिन केवल वस्तुओं के लिए जीने से कोई सुखी तो हो नहीं रहा है क्योंकि अगर ऐसा होता तो अमेरिका जैसे देश में लोग यहां तक कि बच्चे भी अवसाद के शिकार हो रहे हैं। भौतिक वस्तुएं सुविधा दे सकती हैं लेकिन आध्यात्मिक आधार शांति देता है। हम केवल वस्तुओं के लिए नहीं जी सकते, हमें शांति भी चाहिए और सनातन समृद्धि और शांति दोनों का संवाहक है। युवाओं को अपने धर्म की शरण में आकर ही ऊर्जा का सदुपयोग करने की दृष्टि प्राप्त करनी चाहिए। कथा व्यथा दूर करती है और जीवन जीने की दृष्टि देती है। कथा सात्विक जिंदगी का पहलू बताती है। मनुष्य जन्म का लक्ष्य परमात्म साक्षात्कार है, कथा व्यक्ति को उसी मार्ग पर ले जाती है। उन्होंने अपने गुरुभाई चारधाम उज्जैन के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी जी महाराज का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने देश देशांतर में धर्मध्वजा फहराई और आज अपनी जन्मभूमि चांदनी धाम में श्री राधा-कृष्ण मंदिर की स्थापना प्राण प्रतिष्ठा के सुअवसर पर मुझे कथावाचन का अवसर प्रदान किया इसके लिए वह उनकी कृतज्ञ हैं। उन्होंने कहा, बुंदेलखंड क्षेत्र का परिभ्रमण करने का अवसर उन्हें पूर्व में भी अपने गुरुदेव के सानिध्य में रहकर प्राप्त हो चुका है और आज पुनः इस धरा का दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। इस दौरान चारधाम उज्जैन के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद गिरी जी महाराज, क्षेत्रीय विधायक मूलचंद्र निरंजन भी मौजूद रहे।

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