भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण और संवर्धन में पत्रकारिता, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक का महत्वपूर्ण योगदान है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण और संवर्धन में पत्रकारिता, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक का महत्वपूर्ण योगदान है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यर्थियों के मध्य संभाषण कार्यक्रम संपन्न।
भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी पत्रकारिता की महावपूर्ण भूमिका रही है।

कुरुक्षेत्र 30 मई : आपातकाल और अघोषित आपातकाल भी भारतीय प्रेस ने और हिन्दी पत्रकारिता ने देखे। तमाम बाधाओं, प्रतिबंध और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी भारतीय पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा तय की। आने वाले वर्ष 2026 में हिन्दी पत्रकारिता 200 वर्षो की हो जाएगी। भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण और संवर्धन में पत्रकारिता, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक का महत्वपूर्ण योगदान है । यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश ने हिंदी पत्रकारिता दिवस पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन से हुआ। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारत की आजादी में अपने प्रणों की आहुति देने वाले वीर पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा
हिन्दी पत्रकारिता दिवस प्रत्येक वर्ष 30 मई को मनाया जाता है। प्रथम हिन्दी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड के प्रकाशक पं. जुगल किशोर मूलतः कानपुर के निवासी थे। वे सिविल एवं राजस्व उच्च न्यायालय कलकत्ता में पहले कार्यवाहक रीडर तथा बाद में वकील बन गए। यह हिंदी पत्रकारिता के लिए बहुत ही कठिन दौर था।स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तीव्र गति से हिन्दी पत्रकारिता ने प्रगति की, भारत के समाचार पत्र पंजीयक के अनुसार भारत में सर्वाधिक समाचार पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो रहे हैं । दूसरे स्थान पर अंग्रेजी भाषा के पत्र हैं।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता की बर्बर तानाशाही के प्रति नई चेतना विकसित की। भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिंदी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सुधारों को प्रोत्साहन देने की प्रेरणा मिली। 1868 में उन्होंने काशी से ‘वचन सुधा’ के प्रकाशन के माध्यम से हिंदी लेखकों को प्रेरित किया। इस पत्रिका के माध्यम उन्होंने जन चेतना लाने का कार्य किया और स्त्री पुरुष समानता का समर्थन किया। उन्होंने भारत के स्व-शासन और संपूर्ण संप्रभुता का स्वप्न देखा। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज हिंदी पत्रकारिता और पत्रकार अनेक चुनौतिओं का सामना कर रहे है। पत्रकार अनेक कठिनाइयों और संघर्ष से आम आदमी तक सत्य समाचार पहुँचा पाता है और आम जनमानास को सामाजिक न्याय दिला पाता है। आज आवश्यकता है कि हिंदी पत्रकारिता और पत्रकार के प्रति सरकार और समाज अपने दायित्व का निर्वाह करे। आत्मनिर्भर और विकसित भारत के निर्माण में पत्रकार और हिंदी पत्रकारिता दोनों बहुत प्रासंगिक है। हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियो के मध्य हिंदी पत्रकारिता पर संभाषण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। संभाषण कार्यक्रम में कक्षा सातवीं के नकुल प्रथम, कक्षा छठी के आकाश द्वितीय एवं कक्षा सातवीं के दिवाकर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विजेता विद्यर्थिओ को मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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