![](https://vvnewsvaashvara.in/wp-content/uploads/2023/10/IMG-20231025-WA0012.jpg)
पाण्डवों के साथ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने मारकंडेय पूजन किया था : प. कमल कुश।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में चल रही है श्री मारकंडेय पुराण कथा।
कुरुक्षेत्र, 25 अक्तूबर : ऋषि मारकंडेय प्राकट्योत्सव के अवसर पर मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के सानिध्य में आयोजित श्री मारकंडेय पुराण कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से कथा वाचक प. कमल कुश ने बताया कि काम्यकवन में पाण्डवों के साथ मौजूद स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने मारकंडेय पूजन किया था। तब अर्जुन पांच वर्षों तक देवताओं के पास रहकर दिव्यास्त्र लेकर लौटे थे और श्रीकृष्ण पत्नी सत्यभामा के साथ अर्जुन से मिलने काम्यकवन आए थे। इस विस्तृत उपपर्व में ऋषि मारकंडेय ने कर्मफल सहित अनेक प्रश्नों पर जो उपदेश दिया, वह महाकाव्य की अनमोल धरोहर है।
कथा वाचक प. कमल कुश ने कहा कि भारतवर्ष में संत महापुरुषों व ऋषियों की सुदीर्घ महान परम्परा है। उनकी उपलब्धियां सांसारिक लोगों को जीवन का मार्ग भी दिखाती हैं। उन्होंने कथा में बताया कि मरणासन्न व्यक्ति की प्राणरक्षा में समर्थ महामंत्र महामृत्युंजय की ख्याति ऋषि मारकंडेय के ही कारण है। इस मंत्र पर लोक आस्था इतनी अधिक है कि वैदिक मंत्र होने के बावजूद महामृत्युंजय मंत्र मारकंडेय रचित माना जाता है। मारकंडेय इतने महान ऋषि हैं कि उनकी उपस्थिति भगवान श्रीराम के युग से पहले, श्रीराम कथा में और तदनंतर महाभारत काल तक सुलभ है। दूसरे दिन की कथा में व्यासपीठ स्वामी पृथ्वी पुरी एवं यजमान परिवारों ने पूजन तथा आरती की। इस अवसर पर स्वामी संतोषनंद, विनोद राणा, सोनिया, सरला देवी, सोनू सैनी, प्रीतम सैनी, अमरनाथ दास, शामू रानी, हरदीप, राकेश राणा, शिव राणा, मनदीप रंगा, विजय राणा, कविता राणा, लक्की राणा, राकेश,भगत दर्शन, बलजीत गोयत, दलबीर संधू, भाना राम नागरा इत्यादि मौजूद रहे।
व्यासपीठ पर कथा वाचक प. कमल कुश एवं पूजन करते हुए स्वामी पृथ्वी पुरी व अन्य।