सच्चे मन के भाव और तपस्या से होते हैं साक्षात देव दर्शन : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी कर रहे हैं 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या।
कुरुक्षेत्र, 6 मई : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी गर्मी के मौसम में 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या लगातार जन कल्याण की कामना के लिए रहे हैं।
महंत राजेंद्र पुरी द्वारा करीब दो दशक से लगातार हर वर्ष यह कठोर तपस्या की जा रही है। शनिवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु जग ज्योति दरबार में पहुंचे तथा तप में लीन महंत राजेंद्र पुरी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। महंत राजेंद्र पुरी ने श्रद्धालुओं को सत्संग में कहा कि मन के भाव और शरीर को कष्ट देना ही सच्ची भक्ति एवं तप है। सांसारिक मोह माया में बंधे जनसाधारण के लिए चाहे यह बस की बात नहीं है। लेकिन अगर उन्हें आराध्य और भगवान का आशीर्वाद न हो तो उन के लिए भी शायद यह आसान नहीं होता।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि जब से उन्होंने तपस्या शुरू की वो कह सकते हैं उन्होंने अपने आराध्य और अपने भगवान के दर्शन पाए हैं। जग ज्योति दरबार में आने वाले हर श्रद्धालु के लिए जो दुआ वो मांगते वो पूरी अवश्य होती है।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि जिस तरह उधार लिया पैसा हमारे पास कुछ समय के लिए है, उसी तरह बिना तप और बिना भक्ति दिखावे की शक्ति और भक्ति कुछ दिन के लिए होती है। अग्नि तपस्या का मुख्य ध्येय अपने आराध्य को पाना और उनकी भक्ति से मिली शक्ति से दरबार में आए जनसाधारण का भला करना है। राष्ट्र निर्माण और देश तरक्की करे, उसके लिए दुआ करना है ही उनके जीवन का लक्ष्य है।
महंत राजेंद्र पुरी अग्नि तपस्या करते हुए।