पंच धूणी अग्नि तपस्या का तीसरा दिन माता सीता को समर्पित : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी कर रहे हैं 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या।
कुरुक्षेत्र, 29 अप्रैल : तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र के जग ज्योति दरबार में चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या के तीसरे दिन महंत राजेंद्र पुरी ने शनिवार की तपस्या माता सीता को समर्पित किया। उन्होंने हिंदू धर्म में माता सीता नवमी के महत्व बारे समझाया। बताया कि हमारे धर्म में माता सीता नवमी का उतना ही महत्व है जितना रामनवमी का।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि सीता नवमी के दिन माता सीता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सीता नवमी पर पूजा-अर्चना करने से जीवन में भगवान श्री राम की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सीता नवमी वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इसी दिन मध्यकाल में पुष्य नक्षत्र में मां सीता प्रकट हुई थी और यही वजह है कि इस दिन सीता नवमी मनाई जाती है।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि भारतीय परम्पराओं में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम तथा माता सीता हमारे जीवन को शिक्षा देने वाले हैं। भगवान श्री राम की हर लीला से हमें प्रेरणा मिलती है। माता सीता ने भगवान श्री राम के साथ जीवन में अनेकों कष्ट सहन कर समाज को प्रेरणा एवं आदर्श प्रदान किए हैं। जग ज्योति दरबार की पंच धूणी अग्नि तपस्या के तीसरे दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी तपस्या करते हुए।