भारतीय संस्कृति तथा संस्कारों के साथ खुशियों व उल्लास से भरा हो नव वर्ष : ब्रह्मचारी

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अपनी संस्कृति तथा संस्कारों के साथ ही हासिल कर सकते हैं जीवन का लक्ष्य।

कुरुक्षेत्र, 1 जनवरी :- मनुष्य के जीवन में उदय होता सूर्य प्रतिदिन नए दिन की शुरुआत होता है। उसी प्रकार नव वर्ष की शुरुआत भी जीवन के एक नए लक्ष्य के साथ होती है। देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने नववर्ष पर शुभकामनाओं के साथ संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति तथा संस्कारों के साथ ही नव वर्ष का स्वागत खुशियों व उल्लास के साथ हो रहा है। लेकिन फिर कोरोना महामारी ने मानव समाज को चिंता में डाल दिया है।

उन्होंने कहाकि केवल हंगामे तथा रोशनियों से ही नव वर्ष की शुरुआत नहीं होती बल्कि जीवन में कुछ कर गुजरने की लालसा के दीपक की रौशनी से ही वास्तव में नव वर्ष की शुरुआत होती है। उन्होंने कहाकि कुरुक्षेत्र की धरती पर भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से उत्पन्न हुई पावन गीता की जयंती के अवसर पर कर्म के संदेश के साथ ही हमारे नव वर्ष का भी आगाज हो चूका है। ब्रह्मचारी ने कहाकि प्रति वर्ष नव वर्ष के अवसर पर हम सभी को उम्मीदें होती है कि नव वर्ष हमारे लिए काफ़ी अच्छा साबित होगा तथा हम सभी नव वर्ष पर नई उम्मीदों, नई इच्छाओं, नई आशाओं तथा नई संभावनाओं को तलाशने की कामना करते हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि अभी तक हमने अपने पिछले वर्ष में क्या किया तथा हम उस वर्ष मे कैसे रहे ? हमें इन सभी बातों पर एक बार मंथन अवश्य करना चाहिए। तभी हम अपने अगले वर्ष की सफलताओं के लक्ष्य को भी तलाश पाएंगे। जब हम अपने लक्ष्य को तलाश लेंगे तो वास्तव में हमारा नव वर्ष खुशियों भरा व सफलताओं से भरा होगा। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य के समय को बेहतर बनाने के लिए कोशिश अवश्य करनी चाहिए। इस मौके पर श्रवण गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, कुलवंत सैनी, टेक सिंह लौहार माजरा, ईश्वर गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, पवन गर्ग, पवन शर्मा, सुरेन्द्र गुप्ता, रोहित कौशिक, सतबीर कौशिक इत्यादि मौजूद थे।
श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी।

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