गुरुकुल में भारतीय आर्य भजनोपदेशक परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन




गुरुकुल में भारतीय आर्य भजनोपदेशक परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
युवा राष्ट्र के कर्णधाऱ, ज्यादा से ज्यादा आर्य समाज से जुड़ें- आचार्य देवव्रत।
आर्य वीरांगना दल के प्रान्तीय शिविर का भी राज्यपालश्री ने किया शुभारम्भ।
शिविर में पहुंची 800 से अधिक वीरांगनाएं।
कुरुक्षेत्र, 02 जून : युवा किसी भी देश की रीढ़ होते है, समाज को नई दिशा देने और राष्ट्र को उन्नति के मार्ग पर ले जाने में युवाओं की अहम भूमिका होती है, इसलिए युवाओं को राष्ट्र का कर्णधार कहा जाता है। वहीं आर्यसमाज भी देश में कुरीतियों और कुत्सित परम्पराओं को तोड़ने वाला संगठन है, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आर्यसमाज से जोड़कर समाज और राष्ट्र के निर्माण में आगे आना चाहिए। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित भारतीय आर्य भजनोपदेशक परिषद के तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय अधिवेशन’ को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहे। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द का चिन्तन विशुद्ध वैज्ञानिक सोच पर आधारित है, उन्होंने समाज से जातपात, महिला उत्पीड़न, छुआछूत जैसी अनेक कुरीतियों के विरूद्ध लोगांे को जागरूक किया और नारी शिक्षा, समान अधिकार की बात की। इस अवसर पर परिषद के प्रधान सहदेव सिंह बेधड़क, उप प्रधान पं. नरेश दत्त, महामंत्री कैलाश कर्मठ सहित गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, राजेन्द्र विद्यालंकार सहित अनेक विद्वान् उपस्थित रहे।
समाज से कुरीतियों के उन्मूलन और नई जागृति लाने में आर्यसमाज के भजनोपदेशकों के योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्ग भजनोपदेशकों ने बहुत कम संसाधन और सुविधा होते हुए भी व्यापक स्तर पर वेदों का प्रचार किया। एक दौर ऐसा था कि भारत में लगभग हर परिवार से कोई न कोई सदस्य आर्यसमाज से जुड़ा हुआ था, यह प्रभाव हमारे प्रचारको के कारण ही था क्योंकि स्वामी नित्यानन्द जी जैसे प्रचारक ऐसे थे जो एक बार किसी गांव में प्रचारार्थ चले गये तो पूरे गांव को आर्यसमाजी बनाकर ही आगे बढ़ते थे। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज स्थिति बिल्कुल अलग है, देश में आर्यसमाज तो बहुत अधिक है मगर हमारी युवा पीढ़ी आर्यसमाज से नहीं जुड़ पा रही है और उनमें संस्कारों का भी अभाव है। ऐसे में हम सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि युवाओं को वैदिक संस्कृति और पुरातन भारतीय संस्कारों से परिचित कराएं। उन्होंने परिषद के सभी सदस्यों से वेद प्रचार में तेजी लाने के साथ-साथ देश में प्राकृतिक खेती का भी प्रचार-प्रसार करने का आग्रह किया।
इसी दौरान राज्यपालश्री ने गुरुकुल में चल रहे आर्य वीरांगना दल शिविर का भी ध्वजारोहण कर विधिवत शुभारम्भ किया। इस शिविर में हरियाणा के विभिन्न जिलों और गांवों से 800 से अधिक युवतियां आयीं जिन्हें गुरुकुल में 5 दिनों तक योगासन, प्राणायाम, डम्बल, लेजियम, व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, स्तूप निर्माण, लाठी चलाना सहित वैदिक संस्कृति और संस्कारों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिविर में पहुंची सभी युवतियों को दैनिक हवन, संध्या कराकर आर्यसमाज और ऋषि दयानन्द के दर्शन से रूबरू कराया जाएगा जिससे वे समाज में फैली पाखण्ड, अंधविश्वास और कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों के विरूद्ध लोगों में जागरूकता पैदा कर सकें।