आज के समय में सामाजिक समरसता एवं जीवन मूल्य की जरूरतः प्रो. संजीव शर्मा

आज के समय में सामाजिक समरसता एवं जीवन मूल्य की जरूरतः प्रो. संजीव शर्मा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

सामाजिक समरसता का भाव आत्मसात करने की आवश्यकताः प्रो. संजीव शर्मा।
मानवीय जीवन मूल्य व्यक्ति की सोच को बदलते हैं : डॉ. रामचन्द्र।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का हुआ आयोजन।

कुरुक्षेत्र, 2 जुलाई : कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत अध्यक्ष व केयू कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने न्यास के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि न्यास की स्थापना 2 जुलाई 2004 को एक आंदोलन की शुरुआत हुई जिसमें अश्लील साहित्य को शिक्षा से हटाने की मुहिम शुरू की गई थी। पिछले 19 साल से न्यास शिक्षा से सम्बन्धित कुरीतियों को दूर करने का कार्य कर रहा है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संस्थापक दीनानाथ बतरा, महासचिव अतुल कोठारी व भाई जगराम के मार्गदर्शन में भारत में शिक्षा और संस्कृति के उत्थान के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है।
वे रविवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के स्थापना दिवस पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डॉ. भीमराव अंबेडकर अध्ययन केंद्र तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक साहित्य में सामाजिक समरसता एवं जीवन मूल्य विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यातिथि प्रो. संजीव शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया ।
प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि आज के समय में सामाजिक समरसता एवं जीवन मूल्य विषय की जरूरत है। सामाजिक समरसता का भाव आत्मसात करने की आवश्यकता है न्यास ने पहले चरित्र निर्माण के उपर कार्य करना शुरू किया। न्यास इतिहास में भारतीयता, प्रबंधन शिक्षा, पर्यावरण, चरित्र निर्माण, वैदिक गणित, भारतीय भाषाएं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, महिला शिक्षा, आत्मनिर्भर भारत सहित अनेक विषयों पर कार्य कर रहा है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने सबसे पहले प्रदेश में एनईपी को लागू किया है। आत्मनिर्भरता के माध्यम से नवाचार व उद्यमिता से द्वारा ही पुनः विश्व गुरू की संकल्पना को साकार किया जा सकता है।
वेबिनार के मुख्य वक्ता आईआईएचएस के असिस्टेंट प्रोफेसर रामचन्द्र ने कहा कि पिछले न्यास के पिछले 19 वर्षो को इतिहास के परिवर्तन के रूप में देखा जाना चाहिए। न्यास 2004 से शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है। वैदिक साहित्य आदि कालीन से चलता आयाम है। वैदिक साहित्य की धारा प्राचीन काल से निरंतर बह रही है। वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, दर्शन शास्त्र मे ही नहीं अपितु सभी काल में वैदिक परम्परा रही है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मानवीय जीवन मूल्य बहुत जरूरी है यह व्यक्ति की सोच को बदलते हैं।
अम्बेडकर केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तर क्षेत्र के संयोजक भाई जगराम, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा सहित सभी का स्वागत करते हुए कहा कि उत्थान न्यास युवाओं को साथ लेकर उन्हें नई दिशा दिखाने का कार्य कर रहा है। उनके संरक्षण में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अम्बेडकर केन्द्र तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के साथ एमओयू करने के बारे में भी आग्रह किया। केन्द्र के सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह ने केन्द्र की गतिविधियों के बारे में बताया।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, हरियाणा के संयोजक डॉ. हितेन्द्र त्यागी ने बताया कि न्यास की स्थापना उच्च शिक्षा तथा माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में देश की परम्परा पर आघात को दूर करने के लिए की गई थी। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों में चरित्र निर्माण आवश्यक है। प्रत्येक नागरिक में देश के प्रति समर्पण भाव जरूरी है। हम सबको मिलजुल कर पर्यावरण पर कार्य करने की आवश्यकता है। प्रो. राधे श्याम शर्मा ने न्यास के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए कहा कि कि किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए देश की स्वास्थ्य, शिक्षा सुदृढ़ होनी चाहिए। आज की शिक्षा को एनईपी के माध्यम से आध्यात्मिकता से जोड़ा गया है। आज शिक्षा में बदलाव आ चुका है। धर्म, जाति, सम्प्रदाय, से उपर उठकर ही सामाजिक समरसता आती है। आज का वेबिनार हमें समरसता की ओर लेकर जाएगा। उन्होंने भारत को ऊंची बुलंदियों तक पहुंचाने का आह्वान किया।
मंच का संचालन वेबिनार सचिव पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरिकिशन ने किया। अंत में कल्याण मंत्र के साथ वेबिनार का समापन हुआ।
इस वेबिनार में प्रो. राधे श्याम शर्मा, केन्द्र के निदेशक प्रो. गोपाल प्रसाद, केन्द्र के सह-निदेशक डॉ. प्रीतम सिंह, प्रो. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. हरिकिशन, डॉ. विवेक कोहली, डॉ. बांके बिहारी, डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. संदीप सिंह, डॉ. रूपेश गौड़, अनिल शर्मा, अमित भटनागर सहित विभिन्न विषयों के संयोजक, सह-संयोजक, विद्यार्थी, शोधार्थी व शिक्षकों सहित 100 लोगों ने भाग लिया।

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