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डीजे ग़ैर शरअई चीज़ों के साथ उर्से रज़वी के मौके पर दरवार ए आला हज़रत पर किसी भी तरह के डीजे वाले जुलूस को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा: तौसीफ़ मियाँ

डीजे ग़ैर शरअई चीज़ों के साथ उर्से रज़वी के मौके पर दरवार ए आला हज़रत पर किसी भी तरह के डीजे वाले जुलूस को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा: तौसीफ़ मियाँ

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)

बरेली : उर्से रज़वी और जश्ने मीलादे रसूल के जुलूसों में डीजे साउंड सिस्टम जैसी गैर शरअई चीज़ें इस्तेमाल न करें: तौसीफ़ मियाँ।
इस साल हमारे नबी का पन्द्रह सौ साला जश्ने मीलाद मनाया जाएगा। अभी से सभी आशिक़े रसूल करें ज़ब्रदस्त तैयारियाँ।
107 वाँ उर्से रज़वी इस साल 18, 19 और 20 अगस्त को होगा जिसके लिये हर तरफ तैयारियाँ शुरू कर दी गयी हैं। इस सम्बन्ध में दरवारे आला हजरत की शैक्षिक संस्था जामिया आला हज़रत में एक अहम मीटिंग बुलायी गयी जिसमें उर्से रज़वी की भव्य तैयारियाँ करने वाले सभी रज़ाकारों ने शिरकत की। इस मीटिंग की सरपरस्ती दरवारे आला हजरत की बुजुर्ग इल्मी शख़्सियत नबिरा ए आला हजरत अल्लामा तौसीफ़ मियाँ साहब ने किया। इस मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए जामिया आला हजरत के निदेशक नबीरए आला हजरत मुफ़्ती फैज रजा खाँ अजहरी ( फैज मियां )साहब ने कहा कि आला हजरत का उर्स पूरी दुनिया में अपनी मिसाल पेश करता है और यह उर्स पूरी तरह से शरीयत के दायरे में मनाया जाता है इसलिए इस साल के 107 वें उर्से रज़वी के लिए सभी रज़ाकार अभी से तैयारियों में जुट जायें। मीटिंग की सरपरस्ती करते हुए हज़रत तौसीफ मियाँ साहब ने एक अहम पैगाम जारी करते हुए कहा कि आला हजरत का यह उर्से रज़वी कोई आम उर्स नहीं है बल्कि यह एक ऐसे मुजद्दिद का उर्स है कि जिन्होंने गैर शरअई चीज़ों को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया। अब एक दो साल से यह देखने को मिल रहा है कि कुछ लोग और दरवारे आला हजरत पर चादर पेश करने आते है और डीजे बजाते हैं जोकि मुनासिब नही है,डीजे के कारण बीमारों व कमज़ोर दिल वाले व्यक्तियों को तख़लीक़ होती है,इस्लाम की पहचान अखलाक है।जुलूस के साथ दुरूद शरीफ़ व नाते पाक पढ़ते हुए चले,ज़िससे सवाब हासिल हो।
जुलूस चाहें चादर का हो या फूलों की डलियों का, यदि गलत तरीके से लाया जाता है तो दरगाह के अंदर या दरगाह की गली में उन्हें हर्गिज़ आने नहीं दिया जायेगा। इसी तरह उन्होंने यह भी कहा कि इस साल हमारे नबी का पन्द्रह सौ साला जश्ने विलादत है इसलिए सभी लोग अभी से तैयारियाँ करें और अपने नबी के अमन व शांति वाले पैगाम तथा उनकी मुबारक जीवन शैली को हिंदी,अंग्रेजी और उर्दू के हैंडबिलों की सूरत में बड़ी सख्या में लोगों में वितरित करें और आका के जुलूस को डीजे गाने बाजे, शोर शराबे जैसी ना शाइस्ता हरकतों से पाक करें, सादगी और अदब व एहतेराम के साथ अपने नबी का जुलूस निकालें ग़ैर शरअई चीज़ों और डीजो पर जितना पैसा खर्च करते हैं उतना पैसा नबी की मुहब्बत में गरीबों की मदद और गरीब लड़कियों की शादियों में खर्च करें। दामाद तौसीफ मिल्लत सैयद आमिर मियां साहब ने सारे रजाकारों को ट्रेंड किया और उन्हें बताया कि किस तरह मेहमानों को तकलीफ ना पहुंचे और उनके साथ अच्छा सुलूक करना है।इस मौके पर मीडिया प्रभारी ज़िया उर रहमान,मौलाना सरताज, मुफ़्ती शायान, शाहिद रज़ा, सय्यद शहरोज़,मुफ़्ती नवाज़िश, मौलाना इरशाद, सद्दाम, इमरान,समाजसेवी पम्मी ख़ाँ वारसी आदि अकीदतमंद शामिल रहे।

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