दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्री कृष्ण कथा में के अंतिम दिवस पर कथा व्यास साध्वी दिव्या भारती जी ने गजेंद्र प्रसंग का विस्तार से किया बखान

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्री कृष्ण कथा में के अंतिम दिवस पर कथा व्यास साध्वी दिव्या भारती जी ने गजेंद्र प्रसंग का विस्तार से किया बखान

फिरोजपुर 01 मई [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:-

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा सत्यनारायण मन्दिर रामपुर बुशैहर में आयोजित श्रीकृष्ण कथा के अन्तिम दिवस डॉ अनिल,ब्रज भूषण सूद और नवीन शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया। कथा व्यास साध्वी दिवेशा भारती जी ने गजेन्द्र प्रसंग सुनाते हुए बताया कि गजेन्द्र की कहानी प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का प्रतीक है। आज का इंसान भी तो इस संसार में आकर संसार के भोग-विलासो में, रिश्तों-नातों में ही मस्त रहता है। किन्तु जब काल आक्रमण करता है तो कोई भी साथ नहीं देता। क्योंकि संसार के जो रिश्ते हैं, वह स्वार्थ की नींव पर टिके होते हैं। जो सम्बन्ध स्वार्थ की नींव पर टिके होते हैं वह सदा साथ नहीं निभाते। इसलिए क्यों न एक ऐसे शाश्वत रिश्ते की तलाश की जाए, जो ज़िन्दगी को एक मजबूत आधार दे, सुरक्षा दे। जिसके टूट जाने का भय न हो। जो निर्भयता ‌प्रदान कर सके और निर्भयता वही प्रदान कर सकता है, जो स्वयं निर्भय हो। इस संसार में यदि कोई पूर्ण रूपेण निर्भय है तो वह केवल ईश्वर है।‌ इसलिए आवश्यकता है उस ईश्वर को जानने की।
श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग के अंतर्गत साध्वी जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण निराकार ब्रह्म है, जो अधर्म ,पाप , अत्याचार के बोझ तले दबी वसुंधरा पर त्रस्त जनमानस की करुण पुकार सुनकर धर्मस्थापना हेतु धरा पर‌ अवतरित होते है। क्योंकि कंस अज्ञानता और तमस्क्रांत साम्राज्य का प्रतीक है। जो मानव मन में जड़े जमाता है, विचारों को संकीर्ण बनाकर बाहरी परिवेश में धर्म के नाम पर हिंसा, जाति पाति के भेद भाव जैसे रूपों में मानव को मानवता से वंचित कर पतन की और मोड़ता है। साध्वी जी ने बताया जिस प्रकार प्रकाश से दूर रहना ही अंधकार है उसी प्रकार प्रभु से दूर रहना ही दुख, संताप व् क्षोभ का कारण है। अवतार शब्द का अर्थ बताते हुए उन्होंने बताया कि अवतार का अर्थ है नीचे उतरना। अपनी परम अवस्था से जन कल्याण के लिए धरा पर उतरा परम तत्व ही ईश्वर अर्थात् अवतार कहलाता है। जहां एक मानव अपने कर्म बंधनों में जकड़ा हुआ, अपने कर्मों के फल को भोगने के भोगने के लिए इस धरती पर आता है, वहीं पर वह ईश्वर अपनी योग माया के द्वारा प्रकृति को अधीन कर, मानव को सही राह दिखाने के लिए इस धरती पर आते हैं। साध्वी बहनों ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर बधाई गीत गाए। सभी भगतों ने नाच गाकर अपनी खुशी को व्यक्त किया।पावन आरती में श्रीमती नीरज श्याम,पवन आनन्द,स्वाति बंसल और विजय शर्मा जी विशेष रूप से पहुंचे। श्री ठाकुर सत्य नारायण मन्दिर ट्रस्ट की ओर से विनय शर्मा ने कथा व्यास जी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आर.के. इंटरप्राइजेज की ओर से संत समाज को हिमाचली टोपी पहनाकर अभिनन्दन किया गया।संस्थान की ओर से स्वामी धीरानन्द जी ने सभी सहयोगी सज्जनों का धन्यावद किया। सारी संगत के लिए लंगर भंडारे का उचित प्रबन्ध किया गया।

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