ओंकार सनातन धर्म का आधार है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक: समर्थगुरू धारा हिमाचल के ज़ोनल कॉर्डिनेटर और श्री दुर्गा देवी मन्दिर के पीठाधीश ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि वैदिक शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश जी की पूजा का विषय महत्त्व है। भगवान श्री गणेश संपूर्ण पृथ्वी के संचालक है। अपनी माता पार्वती और पिता भगवान शिव की सबसे पहली पूजा भगवान श्री गणेश जी ने की। जो अपने माता पिता, आचार्य , गुरु और देवी देवताओं का आदर और सेवा करते है। उनकी श्रद्धा और भावना सहित की गई पूजा ही स्वीकार होती है। भगवान सभी जीव जंतुओं को उनके कर्म अनुसार ही फल देते है। अच्छे कर्म से ही अच्छे भाग्य का निर्माण होता है। डॉक्टर मिश्रा ने मुद्रा विज्ञान और ध्यान और भक्ति के बारे में सत्संग दिया। नर्मदेश्वर महादेव , एम ई एस , कसौली के मुख्य संचालक पंडित रमन और पंडित दीपक, सेवादार रोहित शर्मा, हिमांशु, कमल और सोलन से पधारे गोरखनाथ परंपरा के आकाश नाथ महाराज जी को आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित समर्थ गीता , मुद्रा विज्ञान, और ओशो गीता भेंट की गई।
समर्थगुरु धारा , मुरथल, हरियाणा के मुख्य संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि
बहिर्जगत के प्रति जागना एकाग्रता है। अंतर्जगत के प्रति जागना द्रष्टा है। निराकार के प्रति जागना ध्यान है। ओंकार के प्रति जागना सुमिरन है। जागना मात्र समाधि है।
धर्मचक्र सत्संग सप्ताह में दो बार होता है। प्रत्येक शनिवार को आचार्य दर्शन श्री सिद्धार्थ रामायण पर और प्रत्येक रविवार को आचार्य कुलदीप जी गोरख वाणी पर अद्भुत सत्संग करते हैं। मैं स्वयं नियमित रूप से इस सत्संग में भाग लेता हूँ । पूरी धरती पर ऐसा तात्विक सत्संग शायद ही कहीं और हो रहा है। किसी भी साधक के लिए यह अनमोल अवसर है। सत्संग नि:शुल्क है।
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समर्थगुरु धारा के ऑफलाइन और ऑनलाइन ध्यान योग कार्यक्रम में आप सभी ध्यान और ओंकार का अनुभव प्राप्त करें। तनाव,दुःख,उत्तेजना और अनावश्यक विचारों से मुक्त होकर आनन्द और उमंग भरी ज़िन्दगी जियें । सनातन धर्म के आधार ध्यान ,समाधि, सुमिरन और साक्षी के सूत्र और दुख से मुक्त होने के लिए महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग और विशेष जीवन के सूत्र अनुभवी आचार्यों द्वारा दिए जाते है। ध्यान योग में ओंकार दीक्षा प्रसाद रूप में सदगुरू द्वारा दी जाती है। सनातन धर्म में बिना ओंकार के कोई भी साधना शुरू नहीं होती। यदि राम का नाम नहीं जाना तो जीने का कोई मजा नहीं है चाहे आपके पास संसार की कितनी भी अथाह संपति हो, धन दौलत हो या ऊंचा पद आदि है ।
हमारे सच्चे माता पिता बंधु सखा परमपिता परमात्मा राम ही है।
यह अनुभव ध्यान योग में सभी साधकों को होता है। ध्यान योग कार्यक्रम ऑफलाइन: 3 दिवसीय और ऑनलाइन: 6 दिवसीय कार्यक्रम होता है।
आगामी ऑनलाइन कार्यक्रमः
1-6 सितम्बर को होगा और समर्थगुरु धाम मुरथल में ऑफलाइन कार्यक्रम 22 से 24 सितंबर होगा । आप सभी अपनी बुकिंग करवाकर परिवार और मित्रों सहित पधारे और अनुभव करें।




