वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र 1 अप्रैल :
ब्रह्माकुमारीज : मुख्यालय माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने बताया कि राजयोग द्वारा अपनी कर्मेन्द्रियों पर संयम कर, कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं, इससे हम व्यर्थ से बच सकते हैं। राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से स्वयं को बचा सकते हैं। वे प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र विश्व शांति धाम में एकत्रित ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को राजयोग का जीवन में महत्व विषय पर टिप्स दे रहे थे। भगवान भाई ने कहा कि मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडल हैं। उन्होंने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वयं को आत्मा निश्चय कर चांद, सूर्य, तारागण से पार रहने वाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं। राजयोग द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकते हैं। उन्होनें बताया कि राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओत-प्रोत व भरपूर कर सकते हैं। राजयोग द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं, जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं।
राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया कि राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थितियों में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं। उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है। राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया कि राजयोग के अभ्यास से अतिंद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं। जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली, उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केंद्र की संचालिका बी.के. सरोज बहन नें राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील की। उन्होंने कहा वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों में राजयोग हमे तनाव मुक्त रखने में बहुत ही मददगार बनेगा। उन्होंने कहा कि राजयोग द्वारा हम अपनी इंद्रियों पर सयंम रख कर अपने मनोबल को बढा सकते हैं। राजयोग द्वारा आंतरिक शक्तियां और सद्गुण को उभार कर जीवन में निखार ला सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत बी.के. भगवान भाई ने राजयोग का अभ्यास कर सभी को शांति का अनुभव कराया।