हवन करना हिंदू धर्म की पहचान एवं वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
महंत राजेंद्र पुरी ने हवन के वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताया।
कुरुक्षेत्र, 1 जून : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार में निरंतर चल रही 41 दिवसीय पंच धूणी अग्नि तपस्या में बैठे महंत राजेंद्र पुरी ने देश और प्रदेशवासियों को कहा कि हिंदुत्व एवं सनातनी होना गर्व को बात है। हिंदू बनने के लिए सिर्फ खुद को हिंदू बताना और प्रवचन सुनना काफी नहीं होगा। यह साधु, संतों व महात्माओं की जिम्मेवारी है कि लोगों को वास्तविकता से अवगत करवाएं। हिंदू बनने के लिए हिंदुत्व को जीवन में उतारना होगा तथा हिंदू धर्म के रीति रिवाजों को दिनचर्या का हिस्सा बनाना होगा।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि हिंदू धर्म में हवन यज्ञ को सबसे पवित्र कार्य बताया गया है। हवन करना ही अपने आप में विशेष है। कई देशों के वैज्ञानिक जो धर्म की बजाए अनुसंधान को महत्व देते हैं, उन्होंने ने भी अपने अनुसंधान में माना है कि वैज्ञानिक दृष्टि से हवन से निकलने वाले अग्रि के ताप और उसमें आहुति के लिए उपयोग की जाने वाली हवन की प्राकृतिक सामग्री वातावरण में फैले रोगाणु और विषाणुओं को नष्ट करती है, बल्कि प्रदूषण को भी मिटाने में सहायक होती है। साथ ही उनकी सुगंध व ऊष्मा मन व तन की अशांति व थकान को भी दूर करने वाली होती है।
महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि हर हिंदू को अधिक रीति रिवाजों का चाहे पता न हो, कम से कम आम की लकड़ी और गाय के देसी घी से घर पर हवन अगर स्वयं भी कर लिया जाए तो फल जरूर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि सुबह पक्षियों की आवाज व उनका चहचहाना प्रात: होने का संदेश होता है। इसी समय को हिंदू धर्म में अमृत काल कहा जाता है। यही वो वक्त होता है, जब हमें बिस्तर त्याग देना चाहिए और नहा धोकर परमात्मा का अपने आराध्य का ध्यान लगाना चाहिए। इससे आपको जीवन में धन को प्राप्ति भी होगी और जीवन खुशहाल रहेगा।
महंत राजेंद्र पुरी कहा कि सच्ची श्रद्धा और भगवान को समर्पित होकर, इस शरीर को कष्ट देकर भक्ति करना ही आपको प्रभु से मिलवाता है। महंत ने अपनी इस अग्नि तपस्या को केवल और केवल मानव को सद्बुद्धि और राष्ट्र कल्याण हेतु बताया।
महंत राजेंद्र पुरी अग्नि तपस्या करते हुए।