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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंत्रोच्चारण के बीच की ब्रह्मसरोवर पर सांध्य कालीन महाआरती

प्रधानमंत्री का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 में पहुंचने पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किया स्वागत।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 26 नवंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2025 में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर मंत्रोच्चारण के बीच महाआरती की और देशवासियों की उन्नति और तरक्की के लिए प्रार्थना की। उन्होंने दीपशिखा प्रज्वलित कर विधिवत रूप से महाआरती का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री के आगमन से कुरुक्षेत्र के इतिहास के साथ एक नया अध्याय जुड़ गया। यह अवसर इसलिए भी खास है कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन से ही हरियाणा सरकार द्वारा लगातार गीता के संदेश को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए लगातार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के रथ के समक्ष केडीबी के सदस्यों और विभिन्न देशों से आए शोधकर्ताओं के साथ एक यादगारी चित्र भी करवाया। इस यादगारी चित्र में हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मसरोवर का अवलोकन करने के उपरान्त ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग की महाआरती कार्यक्रम में भी भाग लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा से पूरे विश्व को गीता का उपदेश दिया। इस पवित्र ग्रंथ गीता के उपदेश आज भी पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। इसलिए कुरुक्षेत्र की पूरे विश्व में आध्यात्मिक रूप से अनूठी पहचान है। इस पावन धरा पर हर वर्ष कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की तरफ से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव और सभी संस्थाओं की तरफ से भी गीता महोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस सांध्यकालीन महाआरती को देखने पर सुखद अहसास होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि धर्मक्षेत्र- कुरुक्षेत्र की पवित्र स्थली ज्योतिसर से पूरे विश्व को गीता का ज्ञान मिला। गीता में दिए ज्ञान में मानव की हर समस्या का समाधान निहित है। गीता के श्लोकों का स्मरण करने से जहां मन को शांति मिलती है वहीं हमारे आध्यात्मिक ज्ञान में भी वृद्धि होती है।

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