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श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के प्रो. राजा सिंगला ने दिया नया जीवन : सेवानिवृत इंस्पेक्टर राजकुमार

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी दूरभाष – 9416191877

करंट लगने के बाद दर्द से कराह रहे थे बीएसएफ से रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर।
दर्द निवारक दवाइयां खाने से भी नहीं मिला आराम, आयुष विवि में पंचकर्म चिकित्सा से मिली नई जिंदगी।

कुरुक्षेत्र, 7 सितंबर :
करंट लगने के बाद असहनीय दर्द से कराह रहे बीएसएफ सेवानिवृत्त से सब इंस्पेक्टर की जिंदगी आयुर्वेद ने दोबारा पटरी पर ला दी। सब इंस्पेक्टर दर्द से निजात पाने के लिए कई अस्पतालों में भटक चुके थे, लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली। अंत में उन्होंने कुरुक्षेत्र स्थित श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय का रुख किया, यहां पंचकर्म विभाग के प्रो. राजा सिंगला की देखरेख में उपचार हुआ। 30 दिन तक चले पंचकर्म इलाज ने उन्हें फिर से स्वस्थ कर दिया है।
डॉ. राजा के मुताबिक, राजकुमार की एमआरआई रिपोर्ट में L-2 से L-5 तक डिस्क प्रोलैप्स हुई थी। L-5 और S-1 लेवल पर वर्टीबरी की समस्या और D-10, D-11 लेवल पर सूजन थी। पंचकर्म थेरेपी के जरिए उनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। अब राजकुमार पूरी तरह स्वस्थ है।
करंट से शुरू हुआ दर्दनाक सफर।
दरअसल, करनाल जिले के गांव सिद्धपुर निवासी 59 वर्षीय बीएसएफ से सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर राजकुमार को 25 अप्रैल 2025 को राजकुमार को बिजली का करंट लगा। करंट उनके दोनों पैरों से निकला, जिसके बाद उनकी कमर और टांगों में भयंकर दर्द रहने लगा। कई अस्पतालों और डॉक्टरों से इलाज कराने के बावजूद दर्द में कोई आराम नहीं आया। हालत यह हो गई कि राजकुमार सोते भी दर्द में थे और आंख भी दर्द में खुलती थी। राजकुमार बताते हैं दर्द इतना असहनीय था कि मुझे दिन में दो-दो दर्द निवारक गोलियां खानी पड़ती थीं। इसके बावजूद भी राहत नहीं मिलती थी। धीरे-धीरे चलने-फिरने में भी मुश्किल आने लगी थी।
आयुष विश्वविद्यालय बना संजीवनी।
राजकुमार के एक जानकार ने उन्हें श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजा सिंगला से मिलने की सलाह दी। 4 अगस्त को राजकुमार विश्वविद्यालय पहुंचे और 30 दिन तक उन्हें अस्पताल में भर्ती कर उपचार दिया गया। डॉ. राजा सिंगला और उनकी टीम ने उन्हें कटी बस्ती, पत्र पोटली स्वेदन, मात्रा बस्ती समेत अन्य आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार दिया। लगातार पंचकर्म और थेरेपी से राजकुमार की स्थिति में सुधार हुआ और अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। पिछले 15 दिनों से उन्होंने दवाइयां लेना भी बंद कर दिया है। राजकुमार का कहना है कि यहां के वैद्य भगवान का दूसरा रूप हैं। मैं कई जगह इलाज करा चुका था, लेकिन आराम नहीं मिला। आयुष विश्वविद्यालय ने मुझे नई जिंदगी दी है।
मरीजों की सेवा करना हमारा ध्येय: प्रो. सिंगला
पंचकर्म विभाग के प्रोफेसर एवं आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजा सिंगला ने कहा कि मरीजों की सेवा करना ही हमारा ध्येय है। विवि के कुलपति प्रो.वैद्य करतार सिंह धीमान के मार्गदर्शन में हर रोगी को बेहतर सुविधाओं के साथ आयुर्वेदिक उपचार किया जा रहा है। यही कारण है कि यहां इलाज के बाद मरीज स्वस्थ होकर नई जिंदगी पा रहे हैं।

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