प्रगतिशील किसान अनिल ने बेल वाली सब्जियों को वैज्ञानिक तरीके से उगा कर बढ़ाई आय : डा. सी.बी. सिंह

प्रगतिशील किसान अनिल ने बेल वाली सब्जियों को वैज्ञानिक तरीके से उगा कर बढ़ाई आय : डा. सी.बी. सिंह।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

कृषि वैज्ञानिक डा. सी.बी. सिंह ने किया निरीक्षण एवं दिया मार्गदर्शन।

कुरुक्षेत्र, 15 मई : पढ़े लिखे युवा नौकरी की लालसा छोड़कर खेती में नाम के साथ अच्छी कमाई कर रहे हैं। ऐसे ही एक प्रगतिशील किसान अनिल ने कुशल कृषि विशेषज्ञों एवं कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में वैज्ञानिक कृषि तरीकों को अपनाकर लाभ कमाया है।
कृषि वैज्ञानिक डा. सी.बी. सिंह ने प्रगतिशील किसान अनिल के खेतों का निरीक्षण किया कि उसने किस प्रकार बेल वाली सब्जियों को वैज्ञानिक तरीके से उगा कर अपनी आमदन को बढ़ाया है। इस मौके पर डा. सी.बी. सिंह ने खेतों का निरीक्षण करते हुए किसान अनिल की सराहना की तथा साथ ही भविष्य के लिए मार्गदर्शन भी किया। डा. सिंह ने बताया कि किस प्रकार अधिक बरसात और गर्मी में बेल वाली सब्जियों को नुकसान पहुंचता है तथा इन्हें कैसे बचाया जा सकता है।
डा. सिंह ने बताया कि बेल वाली सब्जियों में घीया, तोरी, करेला, पेठा, टिंडा और खीरा आदि ऐसी सब्जियां हैं जो हर घर की रसोई में इस्तेमाल होती हैं। इसके चलते इन सब्जियों की बाजार में काफी डिमांड है। ऐसे में किसान इन सब्जियों को उगाकर अच्छी खासी आमदनी अर्जित कर सकते हैं। इन बेल वाली सब्जियों को साल में 2 बार उगाया जाता है। पहला मौसम जनवरी-फरवरी का और दूसरा मौसम जून से जुलाई का इन फसलों को उगाने के लिए उपयुक्त होता है।
डा. सी.बी. सिंह ने बताया कि दोनों मौसमों में बीज की सीधी बिजाई की जाती है और तैयार की गई पौध को रोपा जाता है। उन्होंने कहा कि जून और जुलाई में बोई जाने वाली फसल जनवरी-फरवरी की तुलना में अधिक उत्पादन देती है। इसलिए किसान इस दौरान सब्जियां लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि बेल वाली सब्जियों को बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है। तुपका सिंचाई के प्रयोग करने से 80 प्रतिशत पानी की बचत तो होती ही है, साथ ही खरपतवार पर नियंत्रण, फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े एवं बीमारियों की भी रोकथाम होती है। कम पानी के प्रयोग से फलों की गुणवत्ता में काफी सुधार आता है।
डा. सिंह ने बताया कि बेल वाली सब्जियों के लिए ऊपर उठे बेडो पर पौध रोपाई विधि का प्रयोग किया जाता है। बेडो को जून-जुलाई में प्लास्टिक मल्च से ढक कर और उसके बाद सीधी बिजाई या पौध रोपाई की जाती है। बरसात का फसल को कोई नुकसान नहीं होता है।
डा. सी.बी. सिंह ने साथ ही बताया कि बेलों को बांस की सहायता से यदि ऊपर चढ़ाया जाए तो इन की वानस्पतिक वृद्धि और पौधों पर फल लगने की मात्रा में बढ़ोतरी हो जाती है। मधुमक्खी की ओर से परपरागण / पोलिनेशन बहुत ही अधिक होता है, जिसके कारण फलों की संख्या में बहुत ज्यादा सुधार आता है।
डा. सिंह ने बताया कि बेलों को क्लंप लगाकर धागों का प्रयोग करते हुए बेलों वाले पौधों को सीधा रखने में मदद ली जाती है और इससे पौधे की बढ़वार की गति में तेजी आती है। बेल वाली सब्जियों को उगाने में विधियों का प्रयोग किया जाए तो किसान अधिक मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिक डा. सी.बी. सिंह खेत में बेल वाली सब्जियों का निरीक्षण करते हुए एवं किसान।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अकादमिक उत्कृष्टता से तैयार होंगे भविष्य के नागरिक : प्रो. कुठियाला

Mon May 15 , 2023
अकादमिक उत्कृष्टता से तैयार होंगे भविष्य के नागरिक : प्रो. कुठियाला। हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।दूरभाष – 9416191877 हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बृजकिशोर कुठियाला का दायित्व मुक्त होने पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में हुआ भव्य सम्मान। पलवल : हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के […]

You May Like

Breaking News

advertisement