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मातृ भूमि के लाखों वीरों की शहादत को समर्पित गांव मसाना में बनेगा पंजाबी धाम : धर्मदेव

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

पंचनद स्मारक ट्रस्ट की तरफ से 417 ट्रस्टियों को उल्लेखनीय योगदान के लिए किया सम्मानित।
कुरुक्षेत्र के गांव मसाना में बन रहा है देश का विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक : सुभाष सुधा।

कुरुक्षेत्र 20 अप्रैल : पंचनद स्मारक ट्रस्ट के संरक्षक स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि देश के बंटवारे के समय जिन लोगों ने नरंसहार की त्रासदी को झेला उनकी पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि विभाजन के समय कुर्बानी देने वाले लोगों की याद में स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जायेगा। इसके उपरांत केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के विशेष योगदान से हर वर्ष 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जा रहा है।
स्वामी धर्मदेव महाराज रविवार को गांव मसाना में पंचनद स्मारक ट्रस्ट की तरफ से आयोजित ट्रस्टी सम्मान समारोह में बोल रहे थे। इससे पहले संरक्षक स्वामी धर्मदेव महाराज,प्रदेशाध्यक्ष सुभाष सुधा व पूर्व नप अध्यक्षा उमा सुधा ने हवन यज्ञ मेंं पूर्ण आहुति डाली और विधिवत रूप से इस सम्मान समारोह का शुभारंभ किया। इसके उपरांत संरक्षक स्वामी धर्मदेव महाराज, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष सुधा, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. सुभाष खन्ना, राष्टï्रीय उपाध्यक्ष राजीव घई, हरजीत सिंह चावला, महामंत्री सुरेन्द्र गुलाटी, कोषाध्यक्ष हरविन्द कोहली, सचिव देशराज मनचंदा, संयुक्त कोषाध्यक्ष चरणजीत अरोडा, युवा प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र, सदस्य सुरेन्द्र खुल्लर, विजय निरमोही,विजय ढल, दर्शन नागपाल, रामकिशन गांधी, विजय अदलखा, जगदीश पाहवा, अर्जुन देव चावला ने शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्घाजंलि अर्पित की है।
स्वामी धर्मदेव महाराज व पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने ट्रस्ट के करीब 417 ट्रस्टियों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया। स्वामी धर्मदेव महाराज ने कहा कि 14 अगस्त का दिन भारत के बंटवारे का दुखद दिन है। वर्ष 1947 में भारत की आजादी की प्रक्रिया चल रही थी तो आज के दिन भारत माता की छाती पर लकीर खींच कर देश का विभाजन भी किया गया था। इस तरह हमें आजादी की भारी कीमत चुकानी पड़ी। हमारा देश तो बंट ही गया, दोनों तरफ के करोड़ों लोग उजड़ गए तथा लाखों लोग दंगों में मारे भी गए। माताओं-बहनों पर अत्याचार किए गए। आज भी उस मंजर को याद करके मानवता की रूह कांप जाती है।
उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि भारत माँ के उन वीर सपूतों ने किसी का भय नहीं माना, किसी लालच में नहीं आए और अपने देश, धर्म व स्वाभिमान को तरजीह देते हुए दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। भूखे-प्यासे खाली हाथ मेहनत की और फिर से अपने आशियाने बसाए। यही नहीं जहां गए वहां की खुशहाली और समृद्धि में उल्लेखनीय योगदान दिया। अपनी मेहनत से उस इलाके को आर्थिक रूप से समृद्ध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि उन परिवारों ने और उनकी नई पीढिय़ों ने हरियाणा के विकास में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि यह दिन हमें भाईचारे का संदेश देने के साथ-साथ यह भी याद दिलाता है कि सामाजिक एकता के सूत्र टूटते हैं तो देश भी टूट जाया करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस दिन को मनाने की घोषणा इसी उद्देश्य से की थी कि भारतवासी अपने इतिहास से सबक लें और स्वर्णिम भविष्य के लिए राष्ट्र की एकता के प्रति समर्पित हों। हरियाणा की इस भूमि ने बंटवारे के दर्द को कुछ अधिक ही सहन किया है। यहां से अनेक परिवार पाकिस्तान तो गए ही, उस समय के पश्चिमी पंजाब से उजडक़र आने वाले परिवारों की संख्या भी अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। विभाजन की इन्हीं यादों को बनाए रखने और नई पीढिय़ों को आपसी प्यार व सद्भाव की सीख देने के लिए कुरुक्षेत्र जिले के गांव मसाना में देश का विश्व स्तरीय शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है। इस स्मारक पर लगभग 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने 25 एकड़ भूमि सरकार को दान के रूप में दी है।
उन्होंने कहा कि पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने वर्ष 2010 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक हमारे पूर्वजों की याद बनाए रखने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। बंटवारे के समय हमारे 10 लाख पूर्वज उस विभीषिका के शिकार हुए थे। उनका विधिवत अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा सका था। उनकी आत्मा की शांति के लिए पंचनद स्मारक ट्रस्ट ने वर्ष 2016 में गया तीर्थ पर जाकर सामूहिक पिंडदान किया था।

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